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देहरादून में नाबालिग ब्लिंकेट राइडर की लापरवाही से 11 साल के बच्चे की टूटी टांग

देहरादून के कैनल रोड पर एक नाबालिग डिलीवरी राइडर ने ऑर्डर छोड़ने के चक्कर में एक 11 साल के बच्चे को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बच्चे की टांग टूट गई। स्थानीय लोगों ने ब्लिंकेट राइडर को मौके पर पकड़ लिया।

यह घटना एक गंभीर मुद्दे को सामने लाती है। ब्लिंकेट और अन्य डिलीवरी कंपनियां अक्सर नाबालिग राइडरों को काम पर रखती हैं। इन राइडरों के पास अक्सर लाइसेंस और हेलमेट नहीं होता है। वे बहुत तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

ब्लिंकेट और अन्य डिलीवरी कंपनियां अक्सर नाबालिग राइडरों को काम पर रखती हैं। इन राइडरों के पास अक्सर लाइसेंस और हेलमेट नहीं होता है। वे बहुत तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

देहरादून में नाबालिग डिलीवरी राइडरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई युवा इस काम को आसान और जल्दी पैसा कमाने का जरिया मानते हैं। क्योंकि इससे उन्हें अधिक पैसा मिलता है।

नाबालिग डिलीवरी राइडरों की बढ़ती संख्या से शहर में सड़क सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है। इन राइडरों की वजह से आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें कई बार जान भी जा चुकी है।

इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और डिलीवरी कंपनियों को मिलकर कदम उठाने की जरूरत है। सरकार को नाबालिग डिलीवरी राइडरों को काम पर रखने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। डिलीवरी कंपनियों को चाहिए कि वे अपने राइडरों को लाइसेंस और हेलमेट की अनिवार्यता सुनिश्चित करें। इसके साथ ही, डिलीवरी कंपनियों को अपने राइडरों को सड़क सुरक्षा के नियमों के बारे में जागरूक करना चाहिए।

नाबालिग डिलीवरी राइडरों की समस्या केवल देहरादून तक ही सीमित नहीं है। यह पूरे देश में एक गंभीर मुद्दा है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार और डिलीवरी कंपनियों को मिलकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

दुर्घटना के बाद कांग्रेस के कुछ नेता भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने ब्लिंकेट कंपनी के बाहर धरना देना शुरू कर दिया और ब्लिंकेट बंद करने की मांग भी की।

धरना प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ब्लिंकेट कंपनी नाबालिगों को काम पर रखकर उनके जीवन को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और ब्लिंकेट जैसी कंपनियों को नाबालिगों को काम पर रखने से रोकना चाहिए।

नाबालिग डिलीवरी राइडरों के लिए खतरा

नाबालिग डिलीवरी राइडरों के लिए कई तरह के खतरे हैं। इनमें दुर्घटनाएं, चोरी, अपहरण आदि शामिल हैं। इन राइडरों के पास अक्सर लाइसेंस और हेलमेट नहीं होता है। वे बहुत तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

नाबालिग डिलीवरी राइडरों को चोरी और अपहरण का भी खतरा होता है। वे अक्सर अकेले होते हैं और उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं होता है।

सरकार को करनी चाहिए सख्त कार्रवाई

सरकार को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार को ब्लिंकेट जैसी कंपनियों को नाबालिगों को काम पर रखने से रोकना चाहिए। इसके लिए सरकार को कानून में बदलाव करना चाहिए।

यह घटना एक गंभीर मुद्दे को सामने लाती है। ब्लिंकेट और अन्य डिलीवरी कंपनियां अक्सर नाबालिग राइडरों को काम पर रखती हैं। इन राइडरों के पास अक्सर लाइसेंस और हेलमेट नहीं होता है। वे बहुत तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।

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