Doon Prime News
nation

महात्मागांधी ने एक बार गुस्से में अपनी ही पत्नी को घर से निकाला था बाहर, जब गलती का हुआ एहसास तो दोनों गले मिल फूट-फूट कर रोए

महात्मागांधी

वास्तविकता महात्मागांधी के बारे में वैसे तो कई घटनाएं ऐसी हैं जिनके बारे में कई समय तक चर्चा हो सकती है। इतिहास की घटनाओं पर टीका टिप्पणी खूब होती है, लेकिन बापू की अर्धांगिनी कस्तूरबा के बारे में चर्चा तुलनात्मक रूप से कम हुई है। बाबू के प्रपौत्र तुषार गाँधी ने कस्तूरबा की डायरी के कुछ ऐसे पन्नों को सार्वजनिक किया जो रोचक, रोमांचक और प्रेरक भी है। ऐसी ही एक घटना दक्षिण अफ्रीका की है।

घर में आने से पहले 11 बार स्नान

उन्होंने बताया कि गांधीजी के किशोरावस्था में जाति प्रथा का बोलबाला था। आज के संदर्भ में दलित और उस समय हरिजन कहे जाने वाले लोगों के संपर्क में आने पर घर के दरवाजे पर बैठा कर 11 बार स्नान कराया जाता था।फिर घर में प्रवेश मिलता था। किशोरावस्था से ही इसका विरोध करते थे। कस्तूरबा की फैमिली में भी उसी दौर की थी। घरों में लोगों का प्रवेश सीमित हुआ करता था, लेकिन गाँधी का स्वभाव काफी अलग था। ऐसे में जो परिस्थितियां बनी वो काफी प्रेरक भी है।

साउथ अफ्रीका में कस्तूरबा को गांधीं ने घर से निकाला

बकौल तुषार गाँधी बापू का कहना था कि घर में आने वाले मेहमान अगर शौचालय साफ नहीं करता तो उसे भी हम खुद साफ करेंगे। एक बार कस्तूरबा शौचालय साफ करने में असहज दिखीं तो गाँधी ने उनसे कहा, मुस्कराते हुए यह काम करे। कस्तूरबा ने जब इसका विरोध किया तो गुस्से में आकर गाँधी ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।

कस्तूरबा और मोहनदास का रिश्ता?

भारत से कई मील दूर दक्षिण अफ्रीका जैसे प्रदेश में घर से निकाले जाने पर कस्तूरबा को का भावुक होना स्वाभाविक था उन्होंने। घर से निकलते वक्त। रोते हुए। पूछा कि वे कहाँ जाएंगे? ये सुनते ही गाँधी का क्रोध शांत हुआ और तुरंत ही उन्होंने कस्तूरबा को अंदर बुला लिया। दोनों गले लगकर फूट फूटकर रोए। तुषार बताते हैं कि इस घटना के अलावा कई ऐसी घटनाएं भी हैं जो स्पष्ट करती है कि गाँधी और कस्तूरबा के रिश्ते मे एसआर सबसे बड़ा संबल था। उन्होंने स्वीकार किया कि अगर मोहनदास कुछ कह रहे हैं तो इसका कारण है और परस् पर प्रेम और समझ प्रगाढ़ होता गया।

कहाँ मिली कस्तूरबा की डायरी?

लेखक तुषार गाँधी की किताब द लेटेस्ट डायरी ऑफ कस्तूरबा माई बाप कैसे तैयार हुई, इसके बारे में वे बताते हैं कि महाराष्ट्र में जलगांव में गांधीजी सर्च फाउण्डेशन बापू से जुड़ी चीजों का संकलन कर रखा है। मध्यप्रदेश के इंदौर में कस्तूरबा केंद्र पर पक्ष से मैं कुछ किताबें और डायरी मिली। इसी में एक कस्तूरबा की डायरी मिली जो गुजराती भाषा में लिखी गयी है। इसे अंग्रेजी अनुवाद तो किया गया है लेकिन जीस प्रकार सहज भाव में गुजराती लिखी गई है, वैसे ही अंग्रेजी में भी ग्रामर और अन्य कुछ भाषा की गलतियों को सुधारे बिना किताब कोप्रकाशित किया गया।

खुद कस्तूरबा ने लिखी डायरी

बकौल तुषार कस्तूरबा के बारे में कहा जाता है कि वे लिखना नहीं जानती थी। यहाँ तक कि परिवार की भी यही मान्यता थी। पहली बार डायरी मिलने पर लोगों ने स्वीकार ही नहीं किया कि कस्तूरबा गाँधी लिखना जानती थी। तुषार गाँधी ने अपनी पर दादी की गुजराती पाडुलिपियों। का अंग्रेजी अनुवाद करने की पहल की। घटनाओं गुजराती लेखन कि शैली और भाषा समझने पर कोई शक की गुंजाइश नहीं बचती है कि घटनाओं को खुद कस्तूरबा ने ही लिखा है।

यह भी पढ़े- PM Kisan Nidhi लेने वाले किसानों के लिए खुशखबरी, इन किसानों को मिलेंगे 2 नहीं 4 हजार रुपए, जानिए कैसे

रोचक प्रसंगों का जिक्र

लेखक महात्मा गाँधी के प्रपौत्र हैं। गाँधी परिवार की दशकों पुरानी और निजी गाथा पर आधारित गलौज डायरी ऑफ कस्तूरबा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुई है तुषार बताते हैं कि गुजराती भाषा की किताबें अंग्रेजी में लिखने के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया कि किताब में भावनाएँ वैसे ही बनी रहे। तुषार बताते हैं कि कैसे गांधीजी ने कस्तूरबा का प्रसव कराया। से सेवाग्राम में क्लिक की गयी। कस्तूरबा और। गांधीं। की फोटो पर फेमिनिज्म को लेकर टिप्पणी कर कैसे कस्तूरबा ने मुंहतोड़ जवाब दिया? ऐसे रोचक प्रसंगों को भी किताब में लिखा।

Related posts

उत्तराखंड के लिए बुरी खबर, देश ने खोया एक और जवान।

doonprimenews

मोहाली में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में मोदी से हाथ मिलाते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की तस्वीर हुई सोशल मीडिया पर वायरल, उठे सवाल

doonprimenews

Jammu Kashmir में सेना और सुरक्षाबलों का आतंकियों के खिलाफ अभियान जारी, एनकाउंटर में 1 आतंकी ढेर 2 को सुरक्षाबलों ने घेरा

doonprimenews

Leave a Comment