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AI पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है, कई देश इसे लेकर कड़े कानून बना रहे हैं। जानिए पूरी खबर।

ई-रिस्क एक हमेशा चलने और लगातार डेवलप होने वाला कॉन्सेप्ट है, जो कि सोशल वैल्यू, टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट और साइंटिफिक डिस्कवरीज को लेकर सेंसिटिव हैं। उदाहरण के लिए डिजिटल वर्ल्ड से पहले किसी भी व्यक्ति की पर्सनल डिटेल्स को शेयर करना कम जोखिम भरा था। वहीं आज, साइबर अटैक और डेटा ब्रीच के वर्ल्ड में ये खतरे से भरा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) खतरे का एक खतरनाक और स्पष्ट उदाहरण है।एवा नाम की AI जिसे पहले एक सिंथेटिक इंटेलिजेंस के चमत्कार की तरह देखा जा रहा था, जो एक मनुष्य के चमत्कारों को मात देने और हेरफेर करने की अपनी इंटेलिजेंस को बताती है, जो AI के खतरों को बताती है।ऐसी कहानी इस बात का उदाहरण देती है कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जाएगी, AI का रिस्क भी भयावह तरीके से बढ़ता जाएगा। ये लंबे और थोड़े समय के होने वाले रिस्क को बताती है।

ये हो सकता है कि इसका तुरंत में दिखाई देने वाली रिस्क कम हो, लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जाएगी, इसका रिस्क बढ़ता जाएगा, इसका लंबे समय का रिस्क हो सकता है। फ्यूचर में ये कई सारे सवालों के साथ खड़ा हो सकता है, लेकिन ये दोनों तरह के रिस्क को बताएगा और इसके कई सारे चेहरे हो सकते हैं और इसका असर आने वाले समय में बहुत ज्यादा होगा। युवल नोआह हरारी ने AI और बायो टेक्नोलॉजी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की, जिसमें ह्यूमन नेचर, विचार और समझ में हेरफेर करके, कैसे एक मानव के जीवन को बदल सकता है, इसको लेकर बात की गई है। भविष्य में एडवांस AI सिस्टम से होना वाले रिस्क को लेकर अब सोचना चाहिए, उदाहरण के लिए यदि पानी और बिजली जैसी मूलभूत जरूरतें AI पर डिपेंड हो जाएं, और यदि AI किसी वजह से काम करना बंद कर दे, तो ये सुविधाओं को बंद कर सकता है यानी ये सोशल वर्क और सोशल वेलफेयर में रुकावट डाल सकता है। इसी तरह कभी सच ना लगने वाला AI ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। जैसे पानी के सिस्टम को डिस्टर्ब करना या पानी के केमिकल बैलेंस को बिगाड़ देना, जो कि विनाशकारी हो सकता है।

ह्यूमन लेवल AI जो कि एक मानव के लिए कामों को बेहतर परफॉर्म करने में सक्षम है, इन रिस्क में एक बड़ा बदलाव भी है। AI तेजी से सुधार की तरफ बढ़ सकते हैं, जिसका रिजल्ट एक सुपर इंटेलिजेंस में होगा, ह्यूमन लेवल से कहीं आगे निकल गया होगा।ये सुपर इंटेलिजेंस ह्यूमन, गलत, धोखा, और गलत असर डालने वाला सुपर इंटेलिजेंस एक बहुत सीरियस रिस्क को बताती है। AI को पब्लिक लोगों से डील करना एक चैलेंज है। AI फ्यूचर को देखते हुए किया गया एडवांस डेवलपमेंट हमारी प्राइवेसी पर एक खतरा है, जिससे AI के बाद मुश्किलें ओर बढ़ जाएंगी।यूरोपीय यूनियन ने इसके लिए रिस्क बेस्ड अप्रोच को अपनाया है। AI एक बेहद क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और हाई सिक्युरिटी से बना है और ये रिसर्च की मांग करता है। लेकिन इस रिस्क को सिर्फ किसी फिक्स एरिया के लिए सच मानना ठीक नहीं है। इसलिए AI के रिस्क को समझने के लिए इसे पूरी तरह से समझने का दृष्टिकोण जरूरी है।इस तरह AI सिक्युरिटी प्रोटोकॉल में शामिल देशों को नुकसान हो सकता है, जिससे डेवलपमेंट की दौड़ में छोटे देशों को बढ़ावा मिल सकता है, जहां वैलयूज को नकारा जा रहा है। AI का ये खेल बाकी देशों को कॉपीटीशन देने के लिए अपने नियमों मे ढील दे सकता है, जो दुनिया में AI से समझौता करने जैसा होगा।

इसके अलावा, युद्ध के साथ टेक्नोलॉजी का होना हमेशा ही खतरे को बढ़ाता है। AI मिलिट्री के लिए एक दायरे तय करना बेहद जरूरी है।न्यूक्लियर वेपन्स को कंट्रोल करना और भी इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी से समझौता करना जरूरी है। AI के रिस्क के साथ हमें ये याद रखना चाहिए कि आज हमारी पसंद कल उस दुनिया को बनाएगी जो हमें विरासत में मिलेगी। देशों से अपनी तुलना की वजह से देशों को इसके जाल में नहीं फंसना चाहिए।

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