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ISIS से अधिक खतरनाक क्यों है हमास, बाइडेन- नेतन्याहू मुलाकात के मायने समझिए। जानिए पूरी खबर।

7 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार था. इजरायल को इस बात का अंदेशा नहीं था कि फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास दुस्साहसिक तरीके से उसके देश को निशाना बना सकता है. फिल्मी अंदाज में इजरायल की सीमा में दाखिल हो जाना, करीब 20 मिनट में पांच हजार रॉकेट दाग देना. हमास के इस एक्शन के बाद इजरायल की तरफ से प्रतिक्रिया का दौर जो शुरू हुआ वो आज भी जारी है. वैश्विक जगत इस मामले में दो धड़ों में बंट चुका है. एक तरफ जहां अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी खुलकर इजरायल के समर्थन में है नहीं मुस्लिम देश फिलिस्तीन के साथ उठ खड़े हुए हैं. इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तेल अवीव पहुंचे. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से द्विपक्षीय बात की और कहा कि ISIS से भी ज्यादा खतरनाक हमास है, उसी सुर में नेतन्याहू ने कहा कि हमास का अंत करके ही दम लेंगे.

हमास में करीब एक लाख लोग हैं. इजरायली खुफिया विभाग के मुताबिक इस आतंकी संगठन के पास करीब 30 हजार मिसाइल हैं. फिलहाल इसके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है कि उनके पास गाइडेड मिसाइल है या नहीं. यही नहीं अगर आर्थिक ताकत की बात करें तो अमेरिका के पूर्व खुफिया अधिकारियों के अनुसार 300 मिलियन डॉलर की संपत्ति है. इन्हें यह रकम बिजनेसमैन से टैक्स, ईरान और कतर के चैरिटी संगठनों से मिलती है.आईएसआईएस के आतंकियों की संख्या करीब 15 हजार से एक लाख के बीच है. इसमें करीब 10 हजार लड़ाकों का संबंध विदेशी लड़ाकों से है. अमेरिका खुफिया विभाग के मुताबिक इनकी फंडिंग का मुख्य स्रोत ड्रग्स की तस्करी के साथ साथ इस्लामिक मुल्कों के कुछ चैरिटी संगठन किया करते हैं, इसके साथ ही ईरान से भी समर्थन मिलता रहता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात के मायनों को समझना जरूरी है, नेतन्याहू से मुलाकात में बाइडेन ने कहा कि आतंकी संगठन हमास, ISIS से भी अधिक खतरनाक है. इसके साथ एक खास बात यह भी कही कि हमास पूरे फिलिस्तीन का प्रतिनिधित्व नहीं करता. इस संबंध में जानकार कहते हैं कि अमेरिका ने अपना नजरिया साफ कर दिया कि इजरायल जिस आक्रामक अंदाज में हमास के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है वो उसका अधिकार है, इजरायली हमला, आतंकी संगठन के खिलाफ है ना कि किसी मुल्क के खिलाफ. इस तरह से उन्होंने इस्लामिक देशों को संदेश भी दिया कि आप इसे दो धर्मों के खिलाफ जंग ना समझें. इजरायल की कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ उस संगठन के खिलाफ है जो आतंक का पर्याय है और आतंकवाद या आतंकी संगठनों के खिलाफ अमेरिका का नजरिया पूरी तरह साफ है.

जानकार कहते हैं कि अगर इजरायल के नजरिए से देखें तो हमास के किसी भी एक्शन के खिलाफ रिएक्शन उसके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. कमोबेश इस तरह का नजरिया इजरायल के सभी दलों का है, इजरायल का कहना है कि आखिर हम अपनी जमीन की बात करते हैं तो सदियों से दूसरों के कब्जे में रही. अब अगर उसकी जमीन पर कोई काबिज होने की कोशिश करेगा तो क्या उसे प्रतिक्रिया देने का अधिकार नहीं है लेकिन इस रुख का फिलिस्तीन विरोध करता रहा है. फिलिस्तीन के नीति नियामकों को लगता है कि इजरायल लालच भरी नजरों से हमारी तरफ देखता है वैसी सूरत में उसे अपने वजूद को बचाए रखने की चुनौती है.

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