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बुलडोजर चलने के बाद भी हल्द्वानी से खत्म नहीं हो रहा अतिक्रमण, हाईवे से हटाया; अब 20 फीट की रोड घेरी

आसमां से गिरा और खजूर पर अटका। यानी एक मुसीबत से निकलकर दूसरी में फंसा। यह कहावत एसटीएच के बाहर चरितार्थ हो रही है। हाईवे किनारे लोगों की परेशानी देख पुलिस व प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया था। यह अतिक्रमण अब गली में हो गया है। 20 फीट की रोड पर दोनों तरफ फड़ व ठेले लग गए हैं। ऐसे में संपर्क मार्ग पर आवाजाही ठप हो गई है।

आसमां से गिरा और खजूर पर अटका। यानी एक मुसीबत से निकलकर दूसरी में फंसा। यह कहावत एसटीएच के बाहर चरितार्थ हो रही है। हाईवे किनारे लोगों की परेशानी देख पुलिस व प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया था। यह अतिक्रमण अब गली में हो गया है। 20 फीट की रोड पर दोनों तरफ फड़ व ठेले लग गए हैं। ऐसे में संपर्क मार्ग पर आवाजाही ठप हो गई है।

लोग परेशान हैं। मगर जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन बेपरवाह बना है। डा. सुशीला तिवारी अस्पताल के बाहर हाईवे के किनारे कई वर्षों से लग रहे भोजन व चाय, फल के फड़-ठेले जाम का कारण बन रहे थे। दिनभर जाम रहता था। पर्यटक संग स्थानीय लोग व एसटीएच आने वाले मरीज-तीमारदार जाम से जूझते थे। आसपास के मेडिकल स्टोर संचालक भी परेशान हैं।

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करीब आठ महीने पहले तत्कालीन आईजी डा. नीलेश आनंद भरणे व प्रशासन ने संयुक्त रूप से अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई की थी। सड़क के फुटपाथ को खाली कराया था। इसी दौरान एसटीएच के बाहर लगने वाले फड़-ठेले हटवा दिए गए थे।

अब इन अतिक्रमणकारियों ने हाईवे के ठीक सामने व एसटीएच के बगल में 20 फीट की सड़क घेरकर अपनी दुकानें सजा ली हैं। सड़क घिरने से आसपास के लोग परेशान हैं। उन्हें आने-जाने के लिए लंबा फेरा लेना पड़ रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन व पुलिस की ओर से अतिक्रमणकारियों को नहीं हटाया जा रहा है। इसकी अनदेखी हुई तो धीरे-धीरे पूरी सड़क पर कब्जा हो जाएगा।

एक छोर खाली, दूसरी ओर परेशानी

एसटीएच के पीछे कई कालोनियां हैं। लोग रुद्रपुर, हल्द्वानी बाजार आदि क्षेत्र को जाने के लिए इसी गली से आते हैं, जहां पर अतिक्रमण हुआ है। नहर के किनारे से छोर से लोग वाहन लेकर आगे आ जाते हैं, लेकिन अगले छोर पर अतिक्रमण होने पर उन्हें बैकफुट पर आना पड़ता है। जिससे समय की बर्बादी भी होती।

ऐसे ही पनपता है अतिक्रमण

अतिक्रमण एक दिन में नहीं होता। लोग पहले फड़-ठेले व तिरपाल ड़ालकर दुकानदारी करते हैं। धीरे-धीरे फड़-ठेले और तिरपाल ही पक्के निर्माण में तब्दील हो जाते हैं। इसलिए जरूरत है कि अतिक्रमण बसने से पहले हटा दिया जाए।

20 से अधिक दुकानें, एसटीएच को खतरा

सड़क पर 20 से अधिक दुकानें सजी हैं। इन दुकानों पर गैस सिलिंडर से खाद्य पदार्थ पकाए जा रहे हैं। एसटीएच की दीवार इसी के बगल में है। साथ ही अंदर मेडिकल स्टोर और पार्किंग। ऐसे में कभी आग लगी तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

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