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उत्तराखंड के ऋषिकेश में गंगा नदी का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी जाना जाता है। हालांकि, इसके साथ ही यहाँ होने वाली दुर्घटनाएँ भी काफी चिंताजनक होती जा रही हैं। ताजा घटना में, देहरादून के सेलाकुई निवासी संजय थापा और उनके पुत्र आशीष थापा के साथ एक दर्दनाक हादसा हुआ।

दोनों ही गंगा के तेज बहाव में बह गए जबकि परिवार घर वापसी के रास्ते में था।यह घटना उस समय हुई जब संजय थापा ने मालाकुंठी पुल के पास गंगा में नहाने का निर्णय लिया। आशीष जब नहाने के दौरान डूबने लगे, तो उनके पिता ने उन्हें बचाने के लिए कूद पड़े।

दुर्भाग्यवश, दोनों ही तेज बहाव का शिकार हो गए। इस तरह की घटनाएं न केवल परिवारों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा आघात हैं।गंगा नदी में डूबने की घटनाएँ अक्सर समाचारों में आती रहती हैं, जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

गंगा का तेज बहाव, नदी की गहराई, पर्यटकों का अनुभवहीनता और स्थानीय सुरक्षा उपायों की कमी इसमें मुख्य हो सकते हैं। पर्यटकों को अक्सर यह समझाया जाता है कि वे नदी में उतरने से पहले स्थानीय निवासियों और गाइडों की सलाह लें, परन्तु कभी-कभी उत्साह में यह बात नज़रअंदाज़ हो जाती है।ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकार और संबंधित प्राधिकरण अधिक सख्ती से उपाय अपनाएँ।

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सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के अलावा, पर्यटकों को भी जागरूक करने की आवश्यकता है। नदी के खतरों के बारे में जानकारी, चेतावनी साइन्स, तैराकी के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान, और लाइफ जैकेट्स का उपयोग इन उपायों में से कुछ हैं।इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों में जीवन रक्षकों की तैनाती और आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है।

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