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लोकसभा चुनावों में मुख्य मुकाबले में रहने वाले भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलोंं ने भी इसी हिसाब से अपनी रणनीति बनाई है। क्षेत्र और वर्ग को ध्यान में रखकर ही राजनीतिक दल राज्य में अपने स्टार प्रचारकों की सभाएं और अन्य कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड का सामाजिक ताना-बाना विविधताओं से परिपूर्ण है।

देवभूमि के राजनीतिक समर के प्रचार अभियान में नए-नए रंग दिख रहे हैं। कहीं समर्थक किसी दल विशेष के चुनावी नारों में रंगे नजर आते हैं तो कहीं राजनीतिक दलों की टोलियां मतदाताओं से उनकी ही बोली भाषा में बात कर उन्हें साधने के प्रयासों में जुटी हैं। इस परिदृश्य के बीच स्टार वार में राजनीतिक दलों की सोशल इंजीनियरिंग भी साफ देखी जा सकती है।

इसके लिए जैसी जमीन वैसा सितारा का फार्मूला निकाला गया है। यही कारण है कि क्षेत्र और वर्ग को ध्यान में रखकर ही राजनीतिक दल राज्य में अपने स्टार प्रचारकों की सभाएं और अन्य कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड का सामाजिक ताना-बाना विविधताओं से परिपूर्ण है। इसके चलते ही चुनाव के समय राजनीतिक दल सोशल इंजीनियरिंग का भी विशेष रूप से ध्यान रखते हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी यह साफ दृष्टिगोचर हो रहा है।

लोकसभा चुनावों में मुख्य मुकाबले में रहने वाले भाजपा और कांग्रेस के अलावा अन्य दलोंं ने भी इसी हिसाब से अपनी रणनीति बनाई है। इसे वे तेजी से धरातल पर मूर्त रूप भी दे रहे हैं। विशेषकर स्टार प्रचारकों की सभाएं, रोड शो समेत अन्य कार्यक्रमों के मामले में। अब जबकि राज्य में लोकसभा की सभी पांच सीटों के लिए 19 अप्रैल को होने वाले मतदान के दृष्टिगत चुनाव प्रचार को चंद दिन शेष रह गए हैं तो राजनीतिक दलों ने स्टार प्रचारकों को मोर्चे पर झोंका हुआ है।

सोशल इंजीनियरिंग की झलक

स्टार प्रचारकों के अब तक हुए और आने वाले दिनों के लिए जो कार्यक्रम तय किए गए हैं, उनमें सोशल इंजीनियरिंग झलक रही है। इन्हें क्षेत्र व वर्ग को साधने के हिसाब से तैयार किया गया है। इस क्रम में भाजपा के दृष्टिकोण से देखें तो उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता को चुनाव में भुनाने से पार्टी पीछे नहीं है। अब तक गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में प्रधानमंत्री की एक-एक विजय संकल्प रैली पार्टी आयोजित कर चुकी है।

इसी तरह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (सेनि) राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। इनके माध्यम से पार्टी ने सैन्य परिवारों को साधने का प्रयास किया है। इसके अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज ने हरिद्वार में अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों को रिझाने के प्रयास किए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी निरंतर मोर्चे पर डटे हैं तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी यहां मैदान में उतारा गया है। योगी आदित्यनाथ राज्य के मूल निवासी हैं और लोग उन्हें अपने बीच पाकर नजदीकी का अहसास करते हैं। राज्य के गठन और फिर इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मातृशक्ति को साधने के लिए केंद्रीय महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी एक बार दौरा कर चुकी हैं।

आने वाले दिनों में भी उनकी सभाएं होनी है। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य नेताओं की सभाएं व रोड शो भी क्षेत्र व वर्ग को साधने के हिसाब से तय किए गए हैं। कांग्रेस के नजरिये से नजर दौड़ाएं तो पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा गढ़वाल और हरिद्वार संसदीय सीटों पर दो सभाएं कर चुकी हैं।

इसके अलावा उसके प्रदेश स्तरीय नेता प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत पार्टी के विधायकों व पूर्व विधायकों को मोर्चे पर लगाया गया है। राज्य में तीसरा कोण बनने के प्रयासों में जुटी बसपा भी हरिद्वार सीट के अंतर्गत पार्टी सुप्रीमो मायावती की सभा आयोजित कर चुकी है। इसे भी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग से जोड़कर देखा जा रहा है।

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