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विधानसभा चुनाव में BJP ने उतारे थे 21 सांसद, 12 हुए पास, हार गए सांसदों का क्या होगा?जानिए पूरी खबर।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बीजेपी ने अपने 21 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था. 12 सांसदों को मिली जीत लेकिन 9 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा. जीतने वाले कई सांसद अपने राज्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं.

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections Result 2023) के नतीजे सामने हैं. हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है. जबकि तेलंगाना में केसीआर के हाथ से सत्ता फिसलकर कांग्रेस के हाथ में गई है. इसके साथ ही मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर सामने आई है. अब इन सभी राज्यों में सरकार बनाने की बारी है. जिसके लिए मीटिंग और चर्चा का दौर चल रहा है. बड़ा सवाल ये है कि विधानसभा चुनाव हार गए 9 सांसदों का क्या होगा?

बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारा था. पार्टी ने 21 सांसदों को टिकट दिया था. इनमें से 12 चुनाव जीत गए, जबकि 9 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा. नियम के अनुसार, 14 दिनों के भीतर इन्हें तय करना है कि वे सांसद बन रहेंगे या विधायक बनाना पसंद करेंगे. इस बीच बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान से जीते सभी चार सांसद संसद से इस्तीफा देंगे और विधायक बने रहेंगे. राजस्थान में बीजेपी ने किसी भी केंद्रीय मंत्री को चुनाव नहीं लड़वाया था.बीजेपी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 7-7, छत्तीसगढ़ में 4 और तेलंगाना में 3 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया. मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया था. इनमें तोमर, पटेल, राकेश सिंह, रीति पाठक और राव उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए. कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए हैं.वहीं, राजस्थान में राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी चुनाव में उतरे थे. राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को भी चुनावी मैदान में उतारा गया था. इनमें राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और मीणा चुनाव जी गए.

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और विजय बघेल ने चुनाव लड़ा. इनमें विजय बघेल चुनाव हार गए. वहीं, तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय, अरविंद धर्मपुरी और सोयम बापूराव को चुनाव मैदान में उतारा. ये तीनों चुनाव हार गए.राजस्थान चुनाव जीत चुके सांसदों का काम बीजेपी ने आसान कर दिया है. वे सभी संसद से इस्तीफा देंगे और विधायक बने रहेंगे. लेकिन कुछ सांसद पशोपेश में भी हैं. जैसे रीता बहुगुणा जोश अच्छी भली यूपी सरकार में मंत्री थीं. पार्टी के कहने पर उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गईं. रीता बहुगुणा सांसद तो बन गईं, लेकिन राज्य का मंत्री पद चला गया. अब बाकी 300 में से एक सांसद भर हैं.

एक सवाल उन सांसदों के बारे में है, जो चुनाव हार गए हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी हैं. जाहिर है कि इन 9 सांसदों की सांसदी तो बरकरार है. लेकिन साख पर बट्टा लग गया है. एक सांसद के नीचे औसतन पांच से छह विधायक होते हैं. अब जो सांसद विधायक नहीं बन पाया, क्या वो दोबारा सांसद बनेगा. क्या पार्टी दोबारा लोकसभा का टिकट देगी? इसके जवाब के लिए इंतजार करना होगा.

विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत मध्य प्रदेश में मिली है. 230 सीटों में से पार्टी को 163 सीटें मिली हैं. ये 2018 से 54 ज्यादा हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयर 7.53% बढ़ा है. प्रचंड बहुमत मिलने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रदेश अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? बीजेपी में इसी को लेकर विचार मंथन का दौर जारी है. मुख्यमंत्री चुनने को लेकर बीजेपी जल्द ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकती है. ये पर्यवेक्षक मध्य प्रदेश के विधायक दल की बैठक लेकर विधायक दल के नेता का चयन करेंगे. इसी बैठक के बाद तय हो जाएगा कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा.

अब तेलंगाना की बात करते हैं. तेलंगाना में कांग्रेस ने के चंद्रशेखर राव के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना तोड़ते हुए बहुमत हासिल किया है. 119 में से 64 सीट जीत कर कांग्रेस स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने जा रही है. सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री चुनने का फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया. तेलंगाना में सीएम की रेस में 3 नाम सामने आ रहे हैं- रेवंत रेड्डी, भट्टी विक्रमार्क मल्लू, उत्तम कुमार रेड्डी. पहले ऐसी खबरें थीं कि आज ही विधायक दल का नेता चुनकर सीएम और डिप्टी सीएम का शपथ ग्रहण हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं… क्योंकि मुख्यमंत्री के नाम पर आम सहमति नहीं बन पाई. अब कांग्रेस के पर्यवेक्षक मंगलवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलेंगे. इसके बाद ही कोई फैसला होगा.

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