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बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास तथा तार्किकता को बढ़ाये जाने को लेकर गैर लाभकारी संगठन रूम टू रीड (पढ़ाई के लिए कमरा) संस्था अब बच्चों का मनोबल बढ़ाएगी. लाइफ स्किल बढ़ाने के लिए ये संस्था स्कूलों का भ्रमण कर बच्चों से उनके बुद्धि कौशल और विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमताओं का परीक्षण करेगी. यह पहला मौका है जब उत्तराखंड में तीन जिलों के सैकड़ों बच्चे इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर अपनी प्रतिभा को बढ़ाएंगे

सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो आने वाले समय में सरकारी स्कूलों के बच्चों की झिझक कम होगी और बच्चे मनोबल से लबरेज नजर आएंगे. संस्था की कार्यक्रम समन्वयक नेहा गौतम ने बताया कि एक शोध के अनुसार सीमित संसाधनों में पढ़ने वाले बच्चों में तार्किकता और निर्णय लेने की क्षमता कम पायी गयी है. संस्था का उद्देश्य बच्चों को आधुनिक समय की परिस्थितियों के लिए तैयार करना है. इससे बच्चों का मनोबल तो बढ़ेगा साथ ही भविष्य निर्माण में भी मदद मिलेगी. यह संस्था ऐसे बच्चों के लिए किसी मंच की तरह ही है जहां उनकी छिपी प्रतिभा को तराशने का कार्य किया जाएगा.

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‘रूम टू रीड’ एक अंतरराष्ट्रीय गैर लाभकारी संगठन का ही भारतीय रूप है. हालांकि दोनों का मकसद केवल बच्चों को समर्पित है. संगठन का काम बच्चों के मनोबल को बढ़ाने के लिए मूल्यांकन उपकरण यानी असेसमेंट टूल के द्वारा बच्चों में क्षमताओं का विकास कर उन्हें विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार करना है. कार्यक्रम समन्वयक नेहा गौतम ने बताया कि उत्तराखंड सरकार व एससीआरटी के साथ अनुबंध किया गया है.

यह पहला मौका है जब इस तरह का कार्यक्रम प्रदेश में लॉन्च किया जा रहा है. उत्तराखंड के पौड़ी, देहरादून व अल्मोड़ा जनपद में सर्वे किया जाएगा. सर्वे का कार्य 2 मार्च से लेकर 8 मार्च तक होगा. सर्वे की एक औसत रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपी जाएगी. इसके बाद सरकार बच्चों के हित के लिए इसे सभी स्कूलों में अनिवार्य गतिविधियों में शामिल कर सकती है.

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी रामेंद्र कुशवाह ने बताया कि संस्था के द्वारा जिले के कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को इसमें शामिल किया गया है. जिले के 30 स्कूलों में संस्था के स्वयंसेवकों के द्वारा यह सर्वे किया जाएगा. छात्र-छात्राओं की प्रतिभा को तराशने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम अहम भूमिका निभा सकते हैं.

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