केदारनाथ यात्रा शुरू होने वाली है और इस बार प्रशासन घोड़ा-खच्चरों की सेहत को लेकर काफी सतर्क है। इसी को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग ने फाटा और कोटमा में दो क्वारंटीन सेंटर बनाए हैं। इन सेंटरों में अगर कोई जानवर बीमार पाया जाता है तो उसका इलाज किया जाएगा और उसे बाकी जानवरों से अलग रखा जाएगा, ताकि बीमारी फैलने का खतरा न हो।
इन दोनों क्वारंटीन सेंटरों में एक बार में 30-30 जानवरों को रखने की व्यवस्था की गई है। यहां 7 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है, जो जानवरों की पूरी जांच करेगी और उनका इलाज भी करेगी।
पंजीकरण से पहले सभी घोड़ा-खच्चरों की जांच की जा रही है। खासकर हॉर्स फ्लू और ग्लैंडर्स जैसी खतरनाक बीमारियों के लिए खून के सैंपल लिए जा रहे हैं। अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है यानी जानवर पूरी तरह से स्वस्थ है, तभी उसका रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है और उसे यात्रा में शामिल होने की अनुमति मिल रही है।
यात्रा के दौरान भी खास इंतजाम किए गए हैं। अगर किसी जानवर की तबीयत बिगड़ती है या बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत यात्रा से अलग कर क्वारंटीन सेंटर में भेजा जाएगा ताकि बाकी जानवरों और यात्रियों को कोई खतरा न हो।
इस तरह प्रशासन और पशुपालन विभाग मिलकर ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि इस बार की यात्रा न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित हो, बल्कि घोड़ा-खच्चरों की सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जाए।
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