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उत्तराखंड के लोकसभा चुनावों के पैटर्न को समझने पर हम यह पाते हैं कि यहां आम तौर पर मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस ही होता है। तीसरे नंबर की पार्टी के नाम पर बसपा जरूर है लेकिन चुनाव दर चुनाव उसका दायरा सिमटता हुआ दिखाई दे रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति सपा की भी नजर आती है। कई राष्ट्रीय दल भी हाशिये पर दिखाई देते हैं।

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प्रदेश में तीसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में पहचान रखने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) भले ही विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव पार्टी को कभी रास नहीं आया। राज्य गठन के बाद बसपा एक बार भी लोकसभा की सीट जीत नहीं पाई है।जहां तक समाजवादी पार्टी (सपा) की बात है, वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट जीतने के बाद वह किसी विधानसभा व लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। प्रदेश में लोकसभा चुनावों में मुकाबला हमेशा से ही कांग्रेस और भाजपा के बीच सिमटता रहा है। अन्य दल मुख्य मुकाबले में अमूमन उपस्थित दर्ज नहीं करा पाते हैं।राज्य गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन खासा अच्छा रहा। पार्टी ने सात सीटों पर जीत दर्ज की और उसे कुल 10.79 प्रतिशत मत मिले। इसके बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा को 6.77 प्रतिशत मत मिले। यद्यपि, उसके प्रत्याशी किसी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाए

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