Doon Prime News
uttarakhand

Diwali :प्रति वर्ष करीब एक हजार बच्चे होते हैं बीमार, दो -तीन बच्चों को मिल रहा अस्थमा का जख्म, जानिए क्या है पूरी खबर

दिवाली के त्योहार की शुरुआत होने वाली है और इसी के साथ सभी पटाखे जलाने का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले रसायनिक धुएं से हर साल करीब एक हजार बच्चे बीमार होते हैं? जी हाँ और इनमें से दो से तीन बच्चे अस्थमा जैसे रोग की चपेट में आ जाते हैं। कई बच्चों को लंबे इलाज और एहतियात बरतने के बाद बीमारी से राहत मिल जाती है। लेकिन कुछ अस्थमा पीड़ित बच्चों के लिए इनहेलर और दवाई जिंदगी भर की मजबूरी बन जाते हैं।


बता दें की दिवाली का त्योहार अभी 12 दिन दूर है। लेकिन कॉलोनियों और मोहल्लों में पटाखों का शोर सुनाई दे रहा है। खासकर बच्चों के लिए तो पटाखे छोड़ना इस त्योहारी सीजन का नया शौक बन गया है। पटाखों से पैदा होने वाले प्रदूषण से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। लेकिन इनसे निकलने वाला धुआं हवा को भी प्रदूषित कर देता है। इस रसायनिक धुएं से सबसे अधिक सांस के रोगियों और बच्चों को नुकसान पहुंचता है।


दरअसल,उप जिला अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू राणा बताती हैं कि हर साल दिवाली के दौरान खांसी, गले में दर्द, बलगम बनना और सांस में तकलीफ जैसे रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल दिवाली के त्योहारी सीजन के दौरान ओपीडी में रोजाना 35 से 40 बच्चे पहुंच रहे थे।


करीब एक महीने तक रोजाना धुएं से बीमार हुए बच्चों के आने का सिलसिला जारी रहा। सभी बच्चे श्वसन तंत्र के रोगों से पीड़ित थे। बताया कि तब अस्थमा जैसे लक्षणों वाले तीन बच्चों को रेफर भी किया गया था। ये सभी बच्चे पटाखों के धुएं से बीमार हुए थे। बताया कि हर साल दिवाली के आसपास का एक महीना ऐसा होता है जब ओपीडी में आधी संख्या केवल धुएं से बीमार होकर आने वाले बच्चों की होती है।


डॉ. मंजू राणा ने बताया कि पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट (कलमी शोरा) और सल्फर (गंधक) है। वहीं इसमें लेड (सीसा), क्रोमियम, मरकरी (पारा) और मैग्नेशियम जैसे धातु भी होते हैं। इनके जलने से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस निकलती है। उन्होंने बताया ये सभी गैस श्वसन तंत्र के लिए बेहद खतरनाक होती है। इससे खांसी, गले में दर्द, बलगम अधिक बंद होने की परेशानी होती है। गले में इरिटेशन के साथ खांसी लगातार होती है और बलगम भी बनता है। अगर समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो अस्थमा जैसे लक्षण आने लगते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की हालात न बने इसलिए ग्रीन दिवाली मनाएं।

Related posts

केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए पंजीकरण पर अब 15 मई तक लगी रोक, अगले कुछ दिन मौसम खराब रहने के आसार।

doonprimenews

सार्वजनिक स्थान पर मार पीट कर जानलेवा हमला करने वाले अभियुक्तों को दून पुलिस ने सिखाया कानून का पाठ।

doonprimenews

अलीगढ़ और अमरोहा से पिरान कलियर उर्स में शामिल होने आए 3 जायरीनों की बानवदर्रे में डूबने से मौत

doonprimenews

Leave a Comment