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कालाढूंगी के तेज पत्ते की महक विदेशों तक पहुंची, दालचीनी से भी बढ़ी किसानों की आय

नैनीताल जिले के चोपड़ा भुजिया घाट के गांव के तेज पत्तों की महक विदेशों तक पहुंच गई है. दोनों गांवों के किसान करीब 40 सालों से तेज पत्ते की खेती कर रहे हैं. गांव में टनों के हिसाब से तेज पत्ता होता है. इसकी खेती 1 साल में एक बार होती है. चोपड़ा गांव के तेज पत्ते की महक विदेशों तक है. चोपड़ा गांव का तेज पत्ता मशहूर माना जाता है. इसके अलावा गांव की दालचीनी का उपयोग देश-विदेश में टूथपेस्ट, मसालों, पाचन को बेहतर बनाने और गैस की समस्या से निजात दिलाने की आयुर्वेदिक दवाइयां व चाय बनाने में उपयोग किया जाता है.

नैनीताल जिले के कालाढूंगी के चोपड़ा और भुजिया घाट गांवों में सबसे ज्यादा तेज पत्ते की पैदावार होती है. तेज पत्ते को पहले सुखा कर फिर इसके पत्तों को एकत्रित कर बेचा जाता है. भुजिया घाट का प्रत्येक किसान साल भर में करीब 8 से 10 क्विंटल तेज पत्ते की पैदावार करता है. नैनीताल के बाजार की बात करें तो यहां 1 किलो तेज पत्ते की कीमत 50 से 55 रुपए है. जबकि यही तेज पत्ता अन्य राज्य जैसे पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में बेचा जाता है. हालांकि अन्य राज्यों में तेज पत्ते की कीमत 100 से 120 रुपये प्रति किलो है.

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इसी तरह चोपड़ा और भुजिया गांव की दालचीनी की भी अन्य राज्यों में भारी डिमांड है. दालचीनी का इस्तेमाल व्यंजनों में किया जाता है. साथ ही खुशबू बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. नैनीताल बाजार में दालचीनी की कीमत करीब 100 रुपए किलो है जो कि अन्य राज्यों में 500 से 600 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचा जाता है. हालांकि, स्थानीय मंडी नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है. किसानों को दूर-दराज अपना उत्पाद भेजने के लिए 2 से 4 दिनों तक का इंतजार करना पड़ता है.

दालचीनी को भूनकर या धूप में सुखाकर पीसकर गरम मसाला बनाने में उपयोग किया जाता है. साथ ही दालचीनी को मिठाई, केक और कुकीज के साथ ही पेय पदार्थों में भी उपयोग किया जाता है. मसाला चाय में भी दालचीनी का ही उपयोग किया जाता है. दालचीनी को कई बीमारियों के इलाज के लिए अन्य सामग्रियों के साथ मिलाकर दवा के रूप में भी उपयोग किया जाता है.

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