Merry christmas 2021 आज हम आपको यीशु( jesus christ) के जन्म की कहानी से लेकरchristmas dayता से जुड़े कुछ रोचक कहानियां ( story of christmas day) बताएंगे साथ ही Merry christmas,wishes, images भी दिखाएंगे।
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25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस डे (Merry christmas day) मनाया जाता है जिसे बड़े दिन भी कहते हैं।क्रिसमस के दिन लोग चर्च में प्रेयर करते हैं और एक दूसरे के साथ पार्टी करते हैं व घूमने जाते हैं।घर पर केक बनाया जाता है और एक दूसरे को खिलाया जाता है। साथ ही बच्चों को मोजे में तोहफे (christmas gift) दिए जाते हैं।
क्रिसमस की शुरुआत कबसे हुई ( starting of christmas day)
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366 ई पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में सबसे पहले क्रिसमस (Merry christmas) 25 दिसंबर को मनाया गया था लेकिन बाइबल जीजस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है। इसके कुछ साल बाद पोप जूलियस ने अधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर ( december 25) को ही मनाने का ऐलान किया है।
यीसु के जन्म की कहानी (birth story of jesus christ)
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नाजरेथ नामक शहर में एक मैरी (mary) नामक युवती रहती थी जो यूसुफ (usuf) नामक युवक के साथ जुड़ी हुई थी। एक रात ईश्वर ने एक गेब्रियल नामक परी को उस युवती के सपनो में भेजा और उसे मैरी को अपना संदेश देने को कहा। परी मैरी के सपनो में गयी और उसने बताया कि मैरी जल्द मां बनने वाली है और वह पुत्र ईश्वर का है और उसका नाम उन्हें यीसु रखना है।
परी ने मैरी को सलाह दी कि वह कुछ दिन अपनी चचेरी बहन एलिजाबेथ के व उसके पति के साथ रहे क्योंकि वे जल्द एक ऐसे पुत्र को जन्म देने वाले है जो यीसु के लोए आगे की दुनिया का रास्ता खोलेगा। जिसके बाद मैरी 3 महीने तक एलिजाबेथ के साथ रही और बाद में वापस नाजरेथ लौट आयी।
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यहा यूसुफ को मैरी की चिंता हो रही थी जिसके बाद एक दिन परी यूसुफ के सपने मैं भी आई उसने यूसुफ से कहा कि वह डरे न और मैरी से जल्द शादी कर ले। जिसके बाद अगले दिन ही मैरी और यूसुफ ने शादी कर ली।
कुछ समय बाद यूसुफ और मैरी को नेजरेथ छोड़ बेतलेहेम जाना पड़ा जो नेजरेथ से बहुत दूर था और मैरी का बच्चा होने में भी ज्यादा समय नही था इसलिए दोनों ने धीरे धीरे जाने का फैसला लिया। जब वे बेतलेहेम पहुंचे तो वह उनके पास रहने के लिए जगह नही बची क्योंकि उनके पहुंचने तक सभी स्थान कब्जा लिए गए थे।
इसके बाद यूसुफ और मरियम गाय व घोड़ों व जानवरों के रहने के स्थान पर रहने लगे और उसी रात जीसस क्राइस्ट का जन्म हो गया । यीसु को वह एक मंदिर में रखा गया था और उन्हें एक वस्त्र में लपेटा गया था।
जब चरवाहे भेद बकरियां चराने आये तो उन्हें परी मिली जिसने उन्हें बताया कि उनके उदरकर्ता ने बेतेलहेम में जन्म लिया है लेकिन उन्हें इस बात का यकीन नही हुआ पर जब उन्होंने यूसुफ मरियम व यीशु को देखा वे प्रशन्न हो गए और उन्हें विश्वास हो गया।
राजा ने यीशु को मारने के आदेश दिए
यीशु के जब जन्म हुआ तो आसमान में एक उज्ज्वल सितारा दिखा जिससे एक दूरदराज देश मे रहने वाले 3 विद्वान समझ गए कि यह महान राजा के आगमन का प्रतीक है और वे उसकी तलाश में निकल पड़े। यह बात जब राजा हेरोदेस को पता चली की उसका स्थान लेने वाले ने जन्म लिया है तो उसने यीशु को मारने के आदेश दे दिए।
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यूसुफ को परी ने चेतावनी दी थी कि राजा हेरोदेस यीशु को मारने की कोशिश करेगा लेकिन वे मिश्र चले जाएं तो वहां वह सुरक्षित रहेंगे।इसलिए वे तीनों मिश्र निकल गए और वहां वे तबतक रहे जबतक उनकी म्रत्यु नही हुई।
क्रिसमस ट्री की कह ( story of christmas tree)
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क्रिसमस ट्री ( christmas tree) की शुरुआत उत्तरी यूरोप से हुई उस दौरान”FIR” नाम के पेड़ को सजाकर क्रिसमस मनाया जाता था।
प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा में सेट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। जो बहुत अमीर था, लेकिन उसके माता-पिता का देहांत हो चुका था वह हमेशा गरीब की चुपके से मदद करता था। उन्हें गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता था।
एक दिन निकोलस को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां हैं जिसकी शादी के लिए उसके पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है यह बात जब निकोलस को पता चली तो वहां शख्स की मदद करने पहुंचा एक रात वह इस आदमी के घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचा और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया धीरे-धीरे निकोलस की यह कहानी पॉपुलर गई।
क्रिसमस ट्री की एक और कहानी
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बहुत पहले एक बड़े जंगल मे एक क्रिसमस का पेड़ रहता था जिसका सपना था कि क्रिसमस डे (marry christmas day)के दिन वह भी christmas tree की तरह सजाया जाए और उसके लिए उसके इंसानों के बीच रहना शुरू किया इस बात पर उसे बड़े पेड़ों ने कहा कि इंसानों के बीच रहना ठीक नही है लेकिन पेड़ ने यह बात नही मानी और उसने इंसानों के साथ ही रहने का फैसला लिया।
इसके कुछ दिनों बाद ही एक परिवार क्रिसमस ट्री की तलाश में आया और उन्हें वह पेड़ दिखा जो उन्हें अच्छा लगा और उन्होंने उसे अपने साथ ले जाने का फैसला लिया। वे उसे वे अपने घर ले गए और वहां उन्होंने उस पेड़ को खूब प्यार दिया सजाया और सुंदर बनाया जिससे जनवरी के महीने तक वह देवदार के वृक्ष आकर्षण का केंद्र बना रहा लेकिन जब उसके पत्ते गिरे तो परिवार ने उसे स्टोर रूम में रख दिया जिससे पेड़ को बहुत बुरा लगा और उसे लगा कि बूढ़े पेड़ इंसानों के बारे में सही कहते थे।
लेकिन कुछ ही दिनों बार परिवार ने उसे फिरसे नई मिट्टी में लगाया उसे सजाया जिससे उसका बदन फिरसे चमचमा उठा जिसके बाद पेड़ को यह महसूस हुआ कि उसने इंसानों को समझने में जल्दबाजी की और उसे धैर्य रखना चाहिए था।
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merry christmas 2021 best wishes to you and your family.