भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के नाम की सिफारिश कर दी है। यह सिफारिश परंपरानुसार तब की जाती है जब केंद्र सरकार का कानून मंत्रालय औपचारिक रूप से वर्तमान CJI से उत्तराधिकारी के नाम की अनुशंसा करने का अनुरोध करता है। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद जस्टिस गवई 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे।
वरिष्ठता के आधार पर चयन, 7 महीने का कार्यकाल
मुख्य न्यायाधीश के रूप में चयन सामान्यतः वरिष्ठता के आधार पर होता है। जस्टिस संजीव खन्ना के बाद जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठता सूची में अगली पंक्ति में आते हैं। उनका कार्यकाल हालांकि मात्र 7 महीने का होगा, क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
जस्टिस गवई का जीवन परिचय और कानूनी करियर
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज रहे स्वर्गीय राजा एस. भोंसले के साथ की थी।
1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। इसके बाद वे 1992 से 1993 तक नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रहे। 14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 12 नवंबर 2005 को वे परमानेंट जज के रूप में नियुक्त हुए। 24 मई 2019 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।
दूसरे दलित CJI होंगे जस्टिस गवई
जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन वर्ष 2007 में इस पद पर नियुक्त हुए थे। जस्टिस गवई का चयन सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है।
महत्वपूर्ण निर्णयों में निभाई भूमिका
अपने न्यायिक करियर में जस्टिस गवई कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के 2016 के नोटबंदी के फैसले को संवैधानिक मानते हुए उसका समर्थन किया था। वहीं, हाल ही में उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले में भी भागीदारी निभाई थी।
न्यायपालिका की निष्पक्षता पर दिए थे अहम बयान
19 अक्टूबर 2024 को गुजरात के अहमदाबाद में न्यायिक अधिकारियों के सम्मेलन में बोलते हुए जस्टिस गवई ने कहा था कि यदि लोगों का न्यायपालिका से विश्वास उठ गया तो वे भीड़ के न्याय या भ्रष्ट तरीकों की ओर झुक सकते हैं, जो कानून व्यवस्था के लिए घातक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी जज द्वारा राजनेताओं या नौकरशाहों की प्रशंसा करना न्यायपालिका की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े कर सकता है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका में जनता का भरोसा बनाए रखना सर्वोपरि है और न्यायिक ईमानदारी व नैतिकता ही उसके मूल स्तंभ हैं।
अगले CJI के रूप में जस्टिस सूर्यकांत की संभावना
जस्टिस गवई के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस सूर्यकांत आते हैं। ऐसे में अनुमान है कि वे भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं।