गंगा की पवित्र धारा के सम्मान और जनसमस्याओं को सुनने के उद्देश्य से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ‘गंगा सम्मान यात्रा’ पर निकलने जा रहे हैं। यह यात्रा 15 अप्रैल से प्रारंभ होगी और गंगा किनारे बसे कई क्षेत्रों में जनसंवाद के माध्यम से जनता की समस्याएं सुनी जाएंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री 14 अप्रैल को उत्तरकाशी पहुंचेंगे, जहां से अगले दिन 15 अप्रैल को वे मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव जाएंगे। वहां विशेष पूजा-अर्चना के बाद ‘गंगा सम्मान यात्रा’ का विधिवत शुभारंभ करेंगे। इस यात्रा के माध्यम से रावत गंगा तटवर्ती क्षेत्रों में पैदल यात्रा करते हुए जनभावनाओं को समझने का प्रयास करेंगे।
यात्रा के दौरान वे हर्षिल, भटवाड़ी, मनेरी और उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से होते हुए आगे बढ़ेंगे। हर पड़ाव पर स्थानीय लोगों से मुलाकात कर जन समस्याओं और मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। 16 अप्रैल को वे बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद नगरवासियों के साथ संवाद करेंगे।
गंगा सम्मान यात्रा के संयोजक प्रदीप रावत के अनुसार, हरीश रावत 17 अप्रैल को डुंडा, चिन्यालीसौड़, टिहरी जिले के कांडीसौड़ और डोबाराचांठी होते हुए भेमुंता गांव तक यात्रा करेंगे। इसके बाद 17 अप्रैल को यात्रा मलेथा तक पहुंचेगी।
18 अप्रैल को यह यात्रा श्रीनगर और अलकनंदा नदी के तटों से होती हुई देवप्रयाग पहुंचेगी, जहां भागीरथी और अलकनंदा के संगम पर यात्रा का समापन होगा। समापन अवसर पर भी रावत स्थानीय लोगों से संवाद कर उनकी बात सुनेंगे और समाधान का भरोसा देंगे।
यह यात्रा न केवल गंगा की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जन प्रतिनिधि अपने क्षेत्र की जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित करने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।