भले ही देश में कोरोना वायरस(coronavirus) की दूसरी लहर की गति धीमी हो गई हो लेकिन इसके चलते कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों ने सभी देशवासियों को सतर्क करना शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हम सभी निर्देशों का पालन करेंगे, तो तीसरी लहर के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इस दौरान राहत भरी खबर यह है कि अगले कुछ महीनों में भारत को बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन मिल सकती है। एम्स(AIMS)के निर्देशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इस बात की जानकारी दी है।
अमेरिका(America) में जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार वहां अब तक 40 लाख बच्चे कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। फिलहाल भारत में अभी बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर बेहद कम आंकी गई है। इस दौरान शुक्रवार को जब डॉक्टर गुलेरिया से बच्चों की वैक्सीन की प्रगति को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ‘भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन टीके का परीक्षण अभी बच्चों पर किया जा रहा है। अभी भी यह ट्रायल चल रहा है और इसके सितंबर महीने तक पूरे होने की उम्मीद है। सितंबर माह में इस वैक्सीन के ट्रायल के नतीजों का एलान किया जा सकता है।’ अगर इस वैक्सीन के नतीजे पूरी तरह सकारात्मक होते हैं तो जल्द ही भारत में बच्चों को वैक्सीन लगाने की घोषणा हो सकती है।
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अब कम समय में रूप नहीं बदल सकेगा कोरोना वायरस
जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर आने वाला समय थोड़ा राहत भरा हो सकता है। डॉक्टर गुलेरिया ने अनुमान जताया है कि आने वाले महीनों में कोरोना वायरस नाटकीय अंदाज में म्युटेंट नहीं होगा। साथ ही यह भी बताया कि तीसरी लहर पर इस बात की निर्भरता होगी कि लोग कैसा व्यवहार करते हैं। कोविड अनुकूल व्यवहार से तीसरी लहर को टाला जा सकता है और उसकी गंभीरता को भी कम किया जा सकता है। डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने यह भी कहा कि हाल ही में आए ज़ीरो सर्वे के अनुसार दो तिहाई आबादी में समुचित मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है। इसके बावजूद जब तक ज्यादातर लोगों का टीकाकरण नहीं होता तब तक भीड़ में जाने और गैर जरूरी यात्रा से बचना चाहिए। उन्होंने उन राज्यों को आगाह किया है जहां अभी भी ज्यादा मामले आ रहे है। उन्होंने कहा कि ज्यादा मामले जिन राज्यों में दर्ज हो रहे हैं वह उन राज्यों को खतरे में डाल सकते हैं जहां संक्रमण को प्रभावी तरीके से काबू में किया गया है।
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