उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लगभग 30 प्रस्तावों पर निर्णय लिया गया, जिनका उद्देश्य आमजन को लाभ पहुंचाना है। बैठक के दौरान कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी, जिनमें मानव-वन्यजीव संघर्ष निधि नियमावली, वाटर टैक्स का प्रावधान और मलिन बस्तियों को राहत देने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष निधि नियमावली को मंजूरी
– वन्यजीव संघर्ष पीड़ितों को लाभ: पीड़ितों को आयुष्मान योजना और आर्थिक सहायता का लाभ मिलेगा।
– पालतू जानवरों की पुष्टि: ग्राम प्रधान और वन अधिकारी की पुष्टि के बाद पालतू जानवर की मौत पर मुआवजा मिलेगा।
– फंड आवंटन: मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए ₹2 करोड़ का फंड स्वीकृत किया गया।
वाटर टैक्स और एसओपी लागू करने का निर्णय
– वॉटर टैक्स: गैर-कृषि कार्यों के लिए भूजल और स्प्रिंग वाटर पर शुल्क की दरें लागू होंगी।
– लागू तिथि: ये प्रावधान 1 दिसंबर से प्रभावी होंगे।
– एसओपी का गठन: वाटर टैक्स और शुल्क संबंधी प्रावधानों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार की जाएगी।
पशुपालन को बढ़ावा देने के प्रयास
– आर्थिक स्थिति में सुधार: पहाड़ी इलाकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विशेष योजना बनाई गई।
– मटन और मछली की आपूर्ति:
– 10,000 भेड़-बकरी पालक ITBP को मटन उपलब्ध कराएंगे।
– 1,000 कुत्ते पालक और 500 मछुआरे ITBP को ट्राउट मछली सप्लाई करेंगे।
– संभावित कमाई: चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों से ₹2,000 करोड़ की कमाई का लक्ष्य।
– सहकारी समितियों की भागीदारी: सभी सप्लाई सहकारी समितियों के माध्यम से की जाएगी।
– रिवॉल्विंग फंड: शासन ने ₹5 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड मंजूर किया, जिसकी भरपाई के लिए दो दिन के भीतर ₹4 करोड़ और जारी होंगे।
– मलिन बस्तियों को राहत देने वाला अध्यादेश
– अध्यादेश में संशोधन: मलिन बस्तियों के लिए विशेष प्रावधानों की समय सीमा को 6 साल से बढ़ाकर 9 साल किया गया।
– राहत के उपाय: सरकार जल्द ही अध्यादेश लाएगी, जिससे मलिन बस्तियों में रहने वालों को राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री निशुल्क गैस रिफिल योजना का विस्तार
– योजना की अवधि: निशुल्क गैस रिफिल योजना की अवधि को तीन साल और बढ़ाया गया।
तकनीकी शिक्षा में सुधार
– पुस्तकालयों की पात्रता में बदलाव: तकनीकी शिक्षा विभाग में पुस्तकालय संबंधी अर्हताओं को संशोधित किया गया।
चिकित्सा एवं औषधि नियंत्रण विभाग में बदलाव
– चयन प्रक्रिया में संशोधन: चिकित्सा शिक्षा विभाग की नई नियमावली के तहत OT तकनीशियन पद के लिए अब डिग्री या डिप्लोमा धारक पात्र होंगे।
– औषधि नियंत्रण विभाग: उप-औषधि नियंत्रक का नया पद सृजित करने की मंजूरी दी गई।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहन
– विदेश में शिक्षा का अवसर: पांच मेधावी छात्रों को यूनाइटेड किंगडम में पढ़ाई के लिए चयनित किया जाएगा।
– भोजन और ठहरने की सुविधा: कौशल विकास के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थियों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था की जाएगी।
सिविल न्यायालय और पेंशन से संबंधित फैसले
– भूमि आवंटन: विकासनगर में सिविल न्यायालय के लिए 358 वर्ग मीटर भूमि ₹1 की दर पर दी गई।
– सेवानिवृत्ति पेंशन: उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश नगर पालिका के अंतर्गत 2007 से छूटे हुए कर्मियों को पेंशन योजना में शामिल किया गया।
एमएसएमई और औद्योगिक क्षेत्र में निर्णय
– हेलीपोर्ट निर्माण: हरिद्वार के सिडकुल में हेलीपोर्ट निर्माण के लिए 8,092 वर्ग मीटर जमीन आवंटित करने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंपा गया।
– पदों का सृजन: उत्तराखंड स्पाइस सोसायटी में 17 नए पदों के सृजन को मंजूरी।
पेंशन जमा सीमा पर नया प्रावधान
– जीपीएफ जमा सीमा: अब एक वर्ष में अधिकतम ₹5 लाख तक ही जीपीएफ में जमा कर सकेंगे।
जल जीवन मिशन का विस्तार
– संपर्क बढ़ाने का प्रयास: जल जीवन मिशन के प्रभावी संचालन के लिए सारा और कौशल विकास विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे।
निशुल्क परिवहन सेवा का प्रावधान
– वीरता पुरस्कार धारकों को सुविधा: वीर चक्र, कीर्ति चक्र जैसे पुरस्कार प्राप्त करने वालों को निशुल्क परिवहन सेवा का लाभ परिवहन निगम द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
न्यायिक सेवा नियमावली में बदलाव
– सिलेबस में संशोधन का अधिकार:
न्यायिक उच्चतर सेवा के सिलेबस में बदलाव का प्रस्ताव हाईकोर्ट करेगा और सरकार उसे स्वीकार करेगी।
कैबिनेट बैठक में लिए गए इन निर्णयों का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाना और आमजन को अधिकतम लाभ पहुंचाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता सभी योजनाओं का लाभ जनता तक समय पर पहुंचाना है, जिससे राज्य का समग्र विकास हो सके।
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