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अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्तियां शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड में भर्ती प्रक्रिया के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं। वही अगस्त और सितंबर माह में भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। सैन्य भर्ती में जाति व प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सेना के अधिकारियों ने कहा है कि सेना भर्ती में जाति व प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सेना के अधिकारियों ने कहा है कि अग्निपथ योजना के अनुसार सैन्य भर्ती प्रक्रिया में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है।
पहले भी जाति व धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाते रहे हैं और अब भी वही मांगे जा रहे हैं। बता दें की जाति व धर्म प्रमाण पत्र को लेकर सियासत होने लगी है एक और जहां आप सांसद संजय सिंह तो दूसरी और वहीं जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सेना में भर्ती से संबंधित एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए अग्नीपथ योजना पर सवाल उठाए थे और कहा था कि सेना में जाति व धर्म प्रमाण पत्र की क्या आवश्यकता है।
वहीं संजय सिंह दावा करते हैं कि भारत के इतिहास में पहली बार होने जा रहा है जब किसी सैन्य भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। इन सारी स्थितियों को साफ करने के लिए सेना के एक अधिकारी ने बताया है कि प्रशिक्षण और तैनाती के दौरान जब कोई सैनिक शहीद होता है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए उसके धर्म का पता होना जरूरी है जिसके चलते फिर उनका अंतिम संस्कार उसी धर्म के अनुसार किया जाता है।

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आपको बता दें कि संजय सिंह ने अपने ट्विटर हैंडल के द्वारा अग्निपथ योजना में मांगे गए दस्तावेजों का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए लिखा था कि, ” मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों को सेना भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है।मोदी जी आपको अग्निवीर बनना है या जातिवीर? “

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