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बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण बहाली के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में हिंसा भड़क उठी है। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में 105 लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शनकारियों का मुख्य उद्देश्य 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने की मांग करना है।

कर्फ्यू और सैन्य गश्त

प्रदर्शन कारियों की बढ़ती हिंसा के मद्देनजर पुलिस ने सख्त कर्फ्यू लगा दिया है। शनिवार को राजधानी के कई हिस्सों में सैन्य बलों ने गश्त की। सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी हैं। शुक्रवार को मारे गए लोगों की संख्या को लेकर अलग-अलग रिपोर्टें हैं। सोमॉय टीवी ने 43 लोगों के मारे जाने की जानकारी दी है, जबकि एसोसिएटेड प्रेस के एक रिपोर्टर ने ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 23 शव देखे हैं।

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हिंसा और झड़प

हफ्तों पहले शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई है। ढाका और अन्य शहरों में सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की घटनाएं सामने आई हैं। अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे ऑनलाइन संचार बाधित हो गया है। कुछ टेलीविजन समाचार चैनल भी बंद हो गए हैं और अधिकांश बांग्लादेशी समाचार पत्रों की वेबसाइटें लोड नहीं हो रही हैं या अपडेट नहीं हो रही हैं।

वापस भारतीय छात्रों की वापसी

बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के चलते 405 भारतीय छात्र वापस देश लौट आए हैं।

प्रदर्शन का समर्थन और आरोप

मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है, जबकि शेख हसीना की पार्टी ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।बांग्लादेश में जारी इस तनावपूर्ण स्थिति पर नजर बनाए रखना आवश्यक है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच किस प्रकार का संवाद स्थापित होता है और क्या समाधान निकलता है।

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