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उत्तराखंड: भूदेव ऐप से मिलेगी भूकंप की चेतावनी, आईआईटी रुड़की के सहयोग से हुआ विकास

आईआईटी रुड़की के सहयोग से विकसित भूदेव एप अब भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से पहले चेतावनी देने में सहायक बनेगा। यह एप उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य भूकंप के दौरान होने वाले नुकसान को कम करना और लोगों को समय रहते सतर्क

आईआईटी रुड़की के सहयोग से विकसित भूदेव एप अब भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से पहले चेतावनी देने में सहायक बनेगा। यह एप उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य भूकंप के दौरान होने वाले नुकसान को कम करना और लोगों को समय रहते सतर्क करना है। इस अत्याधुनिक प्रणाली के तहत, भूकंप की प्रारंभिक तरंगों का वैज्ञानिक तरीके से पता लगाया जाएगा और इसके आधार पर भूदेव एप एवं सायरन के माध्यम से चेतावनी दी जाएगी। इससे लोगों को 15 से 30 सेकंड पहले सतर्क होने का समय मिलेगा, जिससे वे सुरक्षित स्थान पर पहुँच सकते हैं।

भूकंप चेतावनी प्रणाली कैसे काम करती है?

आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र और आपदा जोखिम एवं न्यूनीकरण विभाग के प्रोफेसर कमल के अनुसार, भूकंप का पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं है, लेकिन लोगों को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी, जिसके तहत यह तकनीक विकसित की गई।

राज्यभर में 169 सेंसर और 112 सायरन स्थापित किए गए हैं। जब भूकंप आता है, तो उसमें दो प्रकार की तरंगें निकलती हैं: प्राइमरी (P) तरंग और सेकेंडरी (S) तरंग। प्राइमरी तरंगें पहले आती हैं और तेजी से यात्रा करती हैं, जबकि सेकेंडरी तरंगें धीमी गति से चलती हैं और अधिक नुकसानदायक होती हैं। यह तकनीक प्राइमरी तरंगों का पता लगाकर तुरंत भूदेव एप और सायरन के माध्यम से लोगों को अलर्ट कर देती है, ताकि वे सेकेंडरी तरंगों के प्रभाव से पहले सुरक्षित स्थान पर जा सकें।

कैसे करें भूदेव एप डाउनलोड?

भूदेव एप को गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।

भूकंप के दौरान, जैसे ही रिक्टर स्केल पर 5 या उससे अधिक तीव्रता दर्ज होती है, एप चेतावनी देने वाली ध्वनि उत्पन्न करेगा। यह प्रणाली केवल उत्तराखंड राज्य में काम करेगी और स्थानीय स्तर पर स्थापित सेंसर एवं सायरन नेटवर्क से जुड़ी होगी।

भविष्य की योजना: बढ़ाई जाएगी चेतावनी प्रणाली की क्षमता

वर्तमान में उत्तराखंड में राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत 169 सेंसर लगे हुए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने इनकी संख्या बढ़ाकर 500 सेंसर और 1000 सायरन स्थापित करने की योजना बनाई है। इस विस्तार के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को 150 करोड़ रुपये से अधिक का प्रस्ताव भेजा गया है। इस परियोजना के पूरा होने से राज्य में भूकंप की चेतावनी प्रणाली और भी प्रभावी होगी तथा लोगों को अधिक सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

भूदेव एप, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक अनुसंधान का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो उत्तराखंड के निवासियों को भूकंप से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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