उत्तराखंड में इस बार बिजली की दरों में दोहरी वृद्धि होने की संभावना है। वार्षिक टैरिफ बढ़ोतरी के साथ ही उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) का पावर डेवलपमेंट फंड (PDF) भी उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। हालांकि, आयोग यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि उपभोक्ताओं पर अधिक वित्तीय भार न पड़े।
तीनों ऊर्जा निगमों ने 29% टैरिफ बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा
राज्य के तीन प्रमुख ऊर्जा निगमों— उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL), पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (PTCUL), और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL)— ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष 29% तक टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
- UPCL: 12% वृद्धि
- PTCUL: 12% वृद्धि
- UJVNL: 5% वृद्धि
नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव पर जनसुनवाई भी पूरी कर ली है। बुधवार को आयोग के अध्यक्ष एम.एल. प्रसाद की अध्यक्षता में राज्य सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें उद्योग जगत के प्रतिनिधि बिजली दरों में वृद्धि के पक्ष में नहीं दिखे। विभिन्न हितधारकों ने अपनी राय और सुझाव आयोग के समक्ष रखे। अब आयोग इन सुझावों और जनसुनवाई में मिले फीडबैक को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला करेगा। नई बिजली दरें 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगी।
यूजेवीएनएल के पावर डेवलपमेंट फंड से अतिरिक्त महंगाई का असर
ऊर्जा निगमों की वार्षिक टैरिफ वृद्धि के अलावा, यूजेवीएनएल के 2500 करोड़ रुपये के पावर डेवलपमेंट फंड (PDF) को उपभोक्ताओं से वसूलने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।
- यह राशि मनेरी भाली-2 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए मांगी गई है, जो वर्ष 2008 में शुरू हुआ था।
- यूजेवीएनएल को इस राशि की स्वीकृति पहले विद्युत नियामक आयोग से नहीं मिली थी, जिसके बाद उसने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) में अपील दायर की।
- APTEL ने यूजेवीएनएल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नियामक आयोग को इस फंड की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।
- यूजेवीएनएल का कहना है कि मूल रिटर्न और इक्विटी की राशि 850 करोड़ रुपये थी, लेकिन ब्याज सहित अब यह 2500 करोड़ रुपये हो चुकी है।
इस मुद्दे पर उद्योग जगत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन न्यायालय ने इस पर कोई स्टे नहीं दिया। ऐसे में नियामक आयोग को APTEL के आदेशों का पालन करना होगा। यदि यह पूरी राशि उपभोक्ताओं से एकमुश्त वसूली जाती है, तो बिजली के बिलों में 25% तक की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, आयोग इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का विकल्प तलाश रहा है ताकि उपभोक्ताओं पर एक साथ अधिक बोझ न पड़े।
नई बिजली दरों की घोषणा में हो सकती है देरी
उत्तराखंड में नई बिजली दरों की घोषणा में देरी हो सकती है।
- नगर निकाय चुनावों की वजह से जनसुनवाई प्रक्रिया देर से शुरू हुई।
- त्योहारों की छुट्टियों के कारण भी टैरिफ निर्धारण में विलंब हुआ।
- आयोग को तीनों ऊर्जा निगमों के तीन वर्षीय बिजनेस प्लान की समीक्षा भी करनी है।
इन कारणों से संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक नई बिजली दरें जारी की जाएंगी, हालांकि ये 1 अप्रैल 2025 से ही लागू मानी जाएंगी।
निष्कर्ष: उत्तराखंड में बिजली दरों में इस बार बड़ी बढ़ोतरी की संभावना है। उपभोक्ताओं को वार्षिक टैरिफ वृद्धि के साथ-साथ यूजेवीएनएल के 2500 करोड़ रुपये के पावर डेवलपमेंट फंड का भी भार उठाना पड़ सकता है। हालांकि नियामक आयोग इस बढ़ोतरी को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का प्रयास कर रहा है ताकि उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।
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