90 फीट ऊंचे झंडेजी के आरोहण के साथ मेला प्रारंभ
देहरादून के श्री गुरु राम राय दरबार साहिब में हर वर्ष आयोजित होने वाला ऐतिहासिक झंडा मेला आज से विधिवत रूप से प्रारंभ हो गया है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच, 90 फीट ऊंचे झंडेजी का भव्य आरोहण किया गया। इस वर्ष पंजाब के राजेंद्र पाल सिंह और सतनाम सिंह को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसकी बुकिंग उनके दादा द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व कराई गई थी।
लाखों श्रद्धालु बने पावन क्षण के साक्षी
देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस पावन अवसर पर दरबार साहिब पहुंचे हैं। मंगलवार रात से ही परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो गुरु महिमा के रंग में डूबकर भक्ति-भाव से ओत-प्रोत नजर आए। संगतों ने श्री गुरु राम राय महाराज के शबदों का सिमरन किया और भक्ति गीतों पर नृत्य करते हुए गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।
होली के पांचवें दिन से रामनवमी तक चलेगा झंडा मेला
हर वर्ष चैत्र मास की कृष्ण पंचमी को झंडेजी के आरोहण के साथ यह धार्मिक महोत्सव प्रारंभ होता है। इस वर्ष यह मेला 6 अप्रैल, रामनवमी तक चलेगा। मेले की धार्मिक गतिविधियां 8 मार्च से प्रारंभ हो चुकी थीं, जबकि 12 मार्च से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे थे।
गुरु महिमा की गूंज से सराबोर रहा दरबार साहिब परिसर
पूरे दरबार साहिब परिसर में देर रात तक गुरु महाराज के जयकारों की गूंज सुनाई देती रही। संगतों ने गुरु राम राय जी की शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए गुरु भक्ति का रसास्वादन किया।
झंडा मेले की विशेषताएं
1. झंडेजी का विशेष पूजन और आरोहण
- सुबह 8 से 9 बजे: पुराने झंडेजी को उतारने की प्रक्रिया आरंभ हुई।
- सुबह 10 बजे: नए झंडेजी पर सादे गिलाफ चढ़ाने की रस्म पूरी की गई।
- दोपहर 1 बजे: शनील के गिलाफ चढ़ाए गए।
- दोपहर 2 से 4 बजे: श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुवाई में झंडेजी का आरोहण हुआ।
- शाम को संगतें आशीर्वाद लेकर विदा हुईं।
2. नगर परिक्रमा का आयोजन
आरोहण के तीसरे दिन, 23 मार्च को, दरबार साहिब परिसर से नगर परिक्रमा निकाली जाएगी। यह सुबह 7:30 बजे शुरू होकर दोपहर 12 बजे तक विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस दरबार साहिब पहुंचेगी।
3. धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन
- दरबार साहिब को प्राकृतिक रंगों और दूधिया रोशनी से सजाया गया है।
- परिसर में 200 से अधिक दुकानें लगी हैं, जहां श्रद्धालु धार्मिक वस्तुएं और प्रसाद खरीद सकते हैं।
- श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के छात्र जैविक उत्पादों के स्टॉल लगाकर संगतों की सेवा कर रहे हैं।
- श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल की मेडिकल टीम दिन-रात श्रद्धालुओं की सेवा में तैनात है।
4. रक्तदान शिविर और समाजसेवा
17, 18 और 20 मार्च को आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में अब तक 150 यूनिट रक्त संगतों द्वारा दान किया जा चुका है। रक्तदाताओं को श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज द्वारा प्रमाण पत्र और आशीर्वाद प्रदान किया गया।
झंडेजी पर विशेष गिलाफ और उनकी परंपरा
झंडेजी पर तीन प्रकार के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं:
- 41 सादे गिलाफ (सबसे भीतर)
- 21 शनील गिलाफ (मध्य भाग)
- 1 दर्शनी गिलाफ (सबसे बाहरी आवरण)
दर्शनी गिलाफ की बुकिंग वर्ष 2135 तक पूरी हो चुकी है। अंतिम बुकिंग 11 अप्रैल 2024 को हुई थी, जिसके अनुसार 110 वर्ष बाद वर्ष 2135 में यह अवसर प्राप्त होगा।
श्री गुरु राम राय जी और झंडा मेले का ऐतिहासिक महत्व
सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय जी के पुत्र श्री गुरु राम राय जी महाराज ने 1676 में देहरादून में डेरा डाला और यहां धर्म व लोक कल्याण के लिए विशाल ध्वज (झंडेजी) की स्थापना की।
उनका जन्म 1646 में, पंजाब के होशियारपुर जिले के कीरतपुर में हुआ था। होली के पांचवें दिन जन्म होने के कारण, इस दिन को उनकी जयंती के रूप में मनाते हुए झंडा मेले का आयोजन किया जाता है।
झंडा मेला: आध्यात्मिकता और श्रद्धा का अद्भुत संगम
देहरादून का झंडा मेला धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में आस्था, प्रेम और सद्भाव का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
इस पावन अवसर पर संगतों की गुरु भक्ति और सेवा भावना देखने लायक होती है, जो समाज में धर्म, श्रद्धा और एकता का संदेश देती है।
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