देहरादून में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर एक शख्स ने ड्राइवर पद के लिए आवेदन किया, लेकिन जब प्रमाण पत्र पर संदेह हुआ तो उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके बाद, संबंधित व्यक्ति ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत दस्तावेज मांगकर विभाग पर दबाव बनाने की कोशिश की। हालांकि, सूचना आयोग की सतर्कता के चलते पूरा मामला उजागर हो गया और यह प्रमाण पत्र फर्जी निकला।
फर्जीवाड़े की जांच में खुला पूरा मामला
आरटीआई अपीलकर्ता पंकज कुमार, जो ऊधमसिंहनगर का निवासी है, ने बागेश्वर में पीआरडी ड्राइवर पद के लिए आवेदन किया था। इसके साथ ही उसने देहरादून में पीआरडी प्रशिक्षण लेने का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया। जब पीआरडी ने आवेदन की जांच की, तो प्रमाण पत्र पर संदेह जताया गया और इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद, पंकज ने आरटीआई के माध्यम से विभागीय दस्तावेज मांगकर जवाबदेही सुनिश्चित करने की कोशिश की।
पीआरडी के जवाब में जब प्रमाण पत्र की प्रामाणिकता पर संदेह जताया गया, तो राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए। इसके बाद पीआरडी निदेशक ने 7 जनवरी को एक विशेष जांच समिति गठित की, जिसमें अपर सचिव आरसी डिमरी, उप निदेशक एसके जयराज और सहायक निदेशक दीप्ति जोशी शामिल थे।
मृत व्यक्ति पर डालने की कोशिश की गई जिम्मेदारी
जांच समिति ने पंकज समेत चार संदिग्ध व्यक्तियों के बयान दर्ज किए। जब पंकज से इस बारे में पूछा गया तो उसने दावा किया कि उसे यह प्रमाण पत्र डाक के माध्यम से मिला था और उसे इसकी सत्यता की जानकारी नहीं थी। जांच में पंकज के ससुर, जो सेवानिवृत्त तहसीलदार हैं, की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिसके चलते उनसे भी पूछताछ की गई।
बयान दर्ज कराने के दौरान सभी संदिग्धों ने दावा किया कि उन्होंने आवेदन से जुड़े दस्तावेज एक व्यक्ति सतीश कुमार को सौंप दिए थे और उसके बाद क्या हुआ, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। जब जांच समिति ने सतीश कुमार के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया, तो उनकी पत्नी ने बताया कि सतीश की मृत्यु 2 अगस्त 2024 को हो चुकी है।
इससे यह संदेह गहरा गया कि इन लोगों ने सतीश कुमार का नाम सिर्फ अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए लिया था ताकि यह पता न चल सके कि फर्जी प्रमाण पत्र किस तरह तैयार किया गया और इसमें कौन-कौन शामिल था।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सूचना आयोग ने रायपुर पुलिस को विस्तृत जांच के निर्देश दिए। इसके बाद पुलिस ने अपीलकर्ता पंकज कुमार के खिलाफ जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया और मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ हो गया कि सूचना का अधिकार (RTI) का दुरुपयोग करके गलत तरीके से सरकारी नौकरी हासिल करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, सूचना आयोग की सतर्कता और कड़ी जांच के चलते यह फर्जीवाड़ा उजागर हो गया और दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
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