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उत्तराखंड में अप्रैल में कुछ दिन की कटौती होने के बाद हालात भले संभल गए हों लेकिन मई में जैसे-जैसे बिजली की मांग बढ़ेगी, वैसे ही कटौती भी शुरू हो सकती है। वर्तमान में प्रदेश में बिजली की मांग और उपलब्धता का आंकड़ा बराबर है। यूपीसीएल के लिए इस बार एक चुनौती राज्य में यूजेवीएनएल से मिलने वाली बिजली है।


जी हाँ,जहां आमतौर पर हर साल इन दिनों 80 से 90 लाख यूनिट बिजली यूजेवीएनएल से मिलती थी, उसका आंकड़ा इन दिनों 50 लाख के आसपास है। इस वजह से 30 लाख यूनिट अतिरिक्त का बोझ यूपीसीएल पर बन गया है। इसके बावजूद यूपीसीएल ने फिलहाल सभी माध्यमों से करीब 4.3 करोड़ यूनिट बिजली का इंतजाम किया हुआ है। इतनी ही मांग भी चल रही है। मई में बिजली की मांग और बढ़ सकती है।


बता दें की अब इससे आगे जितना भी मांग का आंकड़ा बढ़ेगा, उतना ही यूपीसीएल के लिए चिंता भी बढ़ती चली जाएगी। जितनी भी मांग बढ़ेगी, उतना ही आपूर्ति में परेशानी होगी। बाजार से महंगी बिजली खरीद के अलावा अब यूपीसीएल के पास शॉर्ट टर्म टेंडर का ही विकल्प बचा हुआ है। जानकारों की माने तो अगर मई में 5 करोड़ यूनिट तक मांग पहुंची तो यूपीसीएल को मजबूरन दोबारा कटौती शुरू करनी पड़ेगी।

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दरअसल,27 अप्रैल को प्रदेश में बिजली की कुल मांग 4.32 करोड़ यूनिट थी। इसके सापेक्ष 4.31 करोड़ यूनिट बिजली उपलब्ध थी। इसमें राज्य पूल से 1.6 करोड़, केंद्रीय पूल से 1.6 करोड़ व अन्य माध्यमों से 90 लाख यूनिट बिजली शामिल है। बृहस्पतिवार को हरिद्वार के ग्रामीण इलाकों में 35 मिनट की कटौती की गई। बाकी किसी भी कस्बे, शहर, इंडस्ट्री में कोई कटौती नहीं हुई।

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