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उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बाद से बेरोजगारी की दर बेकाबू हो चुकी है जो कि अब हालत ठीक होने के बाद भी काबू में नहीं आ रही है। आलम कुछ इस कदर है कि इस साल अप्रैल में राज्य की बेरोजगारी दर 5.33% दर्ज की गई थी जो कि, 5 महीने बाद 0.62% की मामूली गिरावट के साथ 4.71% पर कायम है।


इतना ही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों की बेरोजगारी दर प्रदेश की कुल दर से ऊपर है। गांवों में 5% बेरोजगारी दर अगस्त में रिकॉर्ड की गई है। दो साल लगातार कोरोना संक्रमण ने उत्तराखंड की कमर तोड़ कर रखी। 2022 में कोरोना से तो राहत मिली है मगर, बेरोजगारी दर में खास राहत नहीं मिल पा रही है।सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा मई में जारी रिपोर्ट के अनुसार जनवरी में उत्तराखंड की बेरोजगारी दर 4.01% थी, जो कि फरवरी में बढ़कर 4.58% तक पहुंच गई। हालांकि, मार्च में इसमें करीब 1% की कमी आई और बेरोजगारी दर 3.51% पर आ गई।

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बता दें की अप्रैल में 1.82% की बढ़ोतरी के साथ बेरोजगारी दर पहली बार 5.33% तक पहुंच गई। यही वो समय था जब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की बेरोजगारी में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। तब गांवों में बेरोजगारी दर 5.5% से भी ऊपर चली गई। इधर, सितंबर में जारी सीएमआईई की इस साल की दूसरी रिपोर्ट में मई से अगस्त तक की बेरोजगारी दर का आंकड़ा दिया गया है।इन चार महीनों में कुछ खास असर देखने को नहीं मिला है। अगस्त 2022 तक प्रदेश की कुल बेरोजगारी दर 0.62% की कमी के साथ 4.71% दर्ज की गई है। जबकि, शहरी क्षेत्रों में 0.9% की कमी के साथ 3.99% और ग्रामीण क्षेत्र भी 0.46% की मामूली कमी के साथ बेरोजगारी दर 5.07% रही है।

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