गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्योहार आज पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
इस विशेष अवसर पर गंगा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। श्रद्धालु सुबह से ही घाटों पर पहुंचने लगे थे और उन्होंने पवित्र डुबकी लगाकर अपनी आस्था का प्रदर्शन किया।गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र संबंध को दर्शाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उन्हें सम्मानित करते हैं। गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने चारों वेदों का संकलन किया था और महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की थी।
इस कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।गुरु पूर्णिमा का पर्व न केवल आध्यात्मिक गुरुओं के सम्मान में मनाया जाता है, बल्कि यह दिन अकादमिक गुरुओं के प्रति भी सम्मान प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। शिष्य अपने शिक्षकों का सम्मान करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके दिए हुए ज्ञान को स्मरण करते हैं। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें भजन, कीर्तन और प्रवचन शामिल होते हैं।
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गुरु पूर्णिमा का संदेश है कि जीवन में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गुरु ही हमें सही मार्ग दिखाते हैं और हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने में मदद करते हैं। यह पर्व हमें अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे हमारे जीवन में सकारात्मकता और समर्पण की भावना बढ़ती है।