आज सिखों के गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती है, आइये जानें उनकी जिंदगी की कुछ अनोखी बातें।
Guru Govind Singh Jayanti : गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 20 जनवरी 1666, पटना में हुआ था। जन्म से इनका नाम गोबिंद राय था, सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु टेग बहादुर के यह एकमात्र पुत्र थे। उनके पिता, गुरु टेग बहादुर ने मुग़ल सल्तनत से सुलह करने के प्रयास किये लेकिन औरंगज़ेब ने उन्हें बंदी बना लिया और फिर दिल्ली में सरेआम फांसी दी क्योंकि उन्होंने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया था। इस क्रूरता के बाद सिखों में गहरा रोष व्याप्त था और इसके बाद Govind जी को दसवाँ गुरु बनाया गया।
Guru Govind Singh के कुछ फैसले जो सिखों के लोए प्रेणास्त्रोत
Guru Gobind Singh ने अपने जीवनकाल में कुछ ऐसे फैसले लिए जो आज भी सिखों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। 1699 की वैसाखी के दौरान उन्होंने खालसा की शुरुआत करी थी और 5 युवकों को अमृतपान कराया था जिसके बाद वो पांच, पंज प्यारे कहलाये और इसके बाद उन पांचो ने गुरु गोविंद जी को भी अमृतपान कराया जिसके बाद उनका नाम Guru Govind Singh हो गया। उन्होंने खालसा के लिए कुछ नियम बनाये जैसे कि 5 K यानी कि –
1)केश: बाल ना काटना
2)कंघा: लकड़ी की एक कंघी
3)कडा: लोहे और स्टील का एक ब्रेसलेट।
4)कृपाण: चाकू या तलवार
5)काछेरा: नीचे का पहनावा।
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खालसा को एक पंत के रूप में ढाला।
Guru Govind singh ने खालसा को एक पंत के रूप में ढाला, खालसा पंत में सिखों के लिये कुछ खास नियम थे जैसे कि तम्बाकू या हलाल मांस का खाना वर्जित था। औरतों और पुरुषों और अलग अलग जातों का साथ ही में अमृतपान हुआ जिससे लोगों में समानता की भावना बढ़ाने में मदद मिली। अपने कार्यों से उन्होंने मुग़लों की दमनकारी शासन का विरोध किया और सिखों और हिंदुओं की मुग़लो के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाया ।
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