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खबर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाला से संबंधित है।हाल ही में CAN फाउंडेशन द्वारा पूर्व जस्टिस एचआर खन्ना की याद में आयोजित कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित करते हुए यह बयान दिया की कोर्ट की आलोचना स्वीकार है लेकिन जजों पर निजी हमले करना यह सही बात नहीं है। उनका यह बयान इसलिए सामने आया है क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा को सुनवाई के दौरान फटकार लगाई थी और साथ ही उदयपुर घटना का जिम्मेदार बताया था। इन्हीं सब के चलते लोगों में गुस्सा देखने को मिला जिसके कारण लोगों ने सोशल मीडिया के द्वारा पारदेवाला की काफ़ी आलोचना करी।
जस्टिस पारदीवाला का यह भी कहना है की हम अधिकारों के रक्षक हैं और लोग वह बताते हैं जो उन्हें पसंद नहीं है। उनका यह भी कहना है की न्यायालय के फैसले जनमत के आधार पर नहीं होते हैं। इसी के साथ जस्टिस ने यह सोशल मीडिया पर लगाम लगाने की बात भी कह डाली। जस्टिस पारदीवाला का कहना है की किसी भी विरोधवादी गतिविधि को आगे बढ़ाने और संवैधानिक मुद्दों का राजनीतिकरण करने के लिए सोशल मीडिया काफी है। उन्होंने कहा की सोशल मीडिया पर लगाम लगनी चाहिए और संसद को भी इस पर विचार करने की जरूरत है।
आपको बता दें कि जस्टिस जेबी पारदीवाला कोई और नहीं बल्कि वही जज हैं जिन्होंने नूपुर शर्मा को फटकार लगाई थी।दरअसल नूपुर शर्मा बीजेपी से निलंबित प्रवक्ता हैं उन्हें पार्टी से निलंबित इसलिए गए किया गया क्योंकि एक टीवी डिबेट के दौरान नूपुर ने पैगम्बर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी जिसके चलते देश के विभिन्न राज्यों में नूपुर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई। और शर्मा इन्हीं एफआईआर को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।

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मामले में सुनवाई करते वक्त सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाला ने नूपुर को फटकार लगाते हुए उदयपुर हत्याकांड का आरोपी भी ठहराया था। साथ ही स्क्रीन पर जाकर देश से माफ़ी मांगने की बात भी कही थी।

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