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तलाब काली माता मंदिर सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे है


तलाब काली माता मंदिर सैकड़ों वर्षो का इतिहास समेटे है

देश के विभिन्न राज्यों से j and k व himachal pradesh स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन करने वाले श्रद्धालु pathankot के काली माता मंदिर में भी आना नहीं भूलते। मंदिर में माता काली बगुलामुखी माता शीतला माता तथा राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जा रही है।

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वैसे तो pathankot शहर की पहचान देश के विभिन्न राज्यों में मंदिरों वाले शहर के नाम से होती है। इन्हीं मंदिरों में से एक है शहर का तलाब काली माता मंदिर। मंदिर की प्रसिद्धी साथ लगते पंजाब, himachal pradesh व जेएंडके में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों तक फैली हुई है। देश के विभिन्न राज्यों से जेएंडके व himachal pradesh स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन करने वाले श्रद्धालु पठानकोट के काली माता मंदिर में भी आना नहीं भूलते। मंदिर में माता काली, बगुलामुखी माता, शीतला माता तथा राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जा रही है। मंदिर में एक प्राचीन काल से धर्मशाला भी बनी हुई है जिसमें 12 कमरे हैं। इस धर्मशाला में अकसर धार्मिक स्थलों पर यात्रा करने आने वाले लोग जहां आराम करते हैं जो सेवा मंदिर की ओर से निश्शुल्क रखी गई है। इतिहास

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुके इस मंदिर के पुजारी देशबंधु की मानें तो ट्रस्ट के अध्यक्ष इंद्र अरोड़ा के पड़दादा निहाल चंद द्वारा इस मंदिर को स्थापित किया गया था। पंडित देशबंधू का कहना है कि उनके पिता जगन्नाथ जी अकसर बताया करते थे कि जिस स्थान पर अब यह मंदिर स्थित है वहां पर एक बहुत बड़ा तलाब हुआ करता था, जिस कारण अब भी इसे तलाब काली माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनके बुजुर्ग बताया करते थे कि मंदिर वाले स्थान के आसपास जंगल झाड़ हुआ करता था। चक्की दरिया से एक कूल निकलती थी जिसका पानी इस तालाब में आता था। इसमें ढेरों मछलियां हुआ करती थी। उनके पड़दाता निहाल चंद माता काली के अनन्य भक्त थे। उनकी माता काली की पूजा में गहरी आस्था थी। जिसके चलते उन्होंने अपने घर के साथ इस मंदिर का निर्माण करवाया था। प्राचीन घटना

पंडित देश बंधू बताते है कि इस मंदिर के साथ प्राचीन घटना भी जुड़ी हुई है। कहते है कि इस तलाब में एक गोरखा अकसर मछलियां पकड़ता था। वह एक बार इस तालाब में मछलियां पकड़ रहा था कि उसका धड़ सिर से अलग हो गया। इसके बाद इस मंदिर की ख्याति दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। इस स्थान पर यदि कोई भी बुरा कार्य करने की सोचता तो उनके कदम अपने आप पीछे मुड़ जाते हैं। धारणा है कि इस गोरखे का सिर मां काली ने अलग किया था। इसके बाद मां काली की आकाशवाणी हुई कि इस तलाब में अब पानी नहीं ठहर पाएगा। जब भी बरसात होती यह तालाब पांच से दस फीट तक पानी तो भरता लेकिन, मात्र दस दिनों में ही सूख जाता है। नवरात्र के चलते मंदिर में श्री रामचरित मानस के पाठ चल रहे

पिछले लगभग सौ वर्षो से श्री रामा ड्रामाटिक क्लब के सदस्य तलाब काली माता मंदिर में प्रभु श्रीराम जी की लीला को प्रस्तुत कर दर्शकों को भक्ति मार्ग का रास्ता दिखा रहे हैं। वह बताते हैं कि इस मंदिर में हर वर्ष विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन दिनों नवरात्र में श्री रामचरित मानस के पाठ किये जाते हैं वहीं सावन मास में सुबह पांच से नौ बजे तक भगवान शिव की पूजा की जाती है।

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