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लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस नेता राहुल गांधी क्यों खेल रहे हैं जातिगत जनगणना का दांव? जानिए पूरी खबर।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्ष लगातार जातिगण जनगणना के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को घेरने में लगी है। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने भी हाल ही में देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी।

संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पास कर दिया गया। इस बिल के पास होने के साथ ही एक बार फिर जातिगत जनगणना की मांग जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, ‘ मैं महिला आरक्षण विधेयक के समर्थन में हूं, लेकिन यह ओबीसी आरक्षण के बिना अधूरा रहेगा।‘

राहुल ने कहा कि भारत में कितने ओबीसी, दलित और आदिवासी हैं? इस सवाल का जवाब सिर्फ जाति जनगणना से ही मिल सकता है। राहुल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं नहीं तो वो कर डालेंगे।’

लोकसभा में राहुल के इस बयान से पहले 28 विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी। भारत में जातिगत जनगणना की मांग कोई नई नहीं है। दशकों से अलग-अलग पार्टियां इसकी मांग कर रही है। जातिगत जनगणना का मकसद भारत में अलग-अलग जातियों की संख्या के आधार पर उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण दिलवाना और जरूरतमंद तबकों या समुदायों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

साल 1931 में आखिरी बार जाति के आधार पर देश में जनसंख्या हुई थी। उस वक्त भारत की 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी समुदाय थी। इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने साल 2010-11 में देशभर में आर्थिक-सामाजिक और जातिगत गणना करवाई थी। SECC का डेटा 2013 तक जुटाया गया. लेकिन इस डेटा की फाइनल रिपोर्ट तैयार होने से पहले साल 2014 में सरकार बदल गई और उस डाटा को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया। ठीक इसी तरह कर्नाटक में भी साल 2015 में जातिगत जनगणना करवाई गई थी लेकिन इस जनगणना के आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं किए गए।

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में एक तरफ विपक्ष बार बार इस मुद्दे को उठाकर भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने और दलित, पिछड़े वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इस मुद्दे से बचने की कोशिश में लगी है। माना जाता है भारतीय जनता पार्टी को डर है कि चुनाव से पहले इस तरह की किसी जनगणना से अगड़ी जातियों के उसके वोटर उनसे नाराज़ हो सकते हैं, इसके अलावा इस जनगणना से भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की राजनीति को खतरा है। अभी तक जिन चुनावों में जाति के आधार पर ध्रुवीकरण हुआ बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हुई। बीजेपी की मुख्य दुविधा ये है कि चुनाव में बहुमत पाने के लिए उन्हें पिछड़े, अल्पसंख्यक और वंचित समाज के वोट के साथ ही फॉरवर्ड क्लास यानी अगड़ी जातियों का समर्थन भी चाहिए होगा और इसलिए पार्टी अगड़ी जाती के वोटरों को नाराज करने से बचना चाहती है।

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