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जानिए क्यों मनाई जाती है गुप्त नवरात्रि, तांत्रिकों के लिए होता है खास


जानिए क्यों मनाई जाती है गुप्त नवरात्रि, तांत्रिकों के लिए होता है  खास


पंचांग के अनुसार 21 फरवरी को रविवार माघ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। आज का दिन विशेष है. इस दिन गुप्त नवरात्रि का समापन किया जाएगा। गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र साधना के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है। इस नवरात्रि में गुप्त रूप से साधना का विधान है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के साथ साथ दो और भी नवरात्रि होती हैं जिन्हें माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि कहा जाता है।
 इस खबर में हम आपको बताते हैं कि आखिर गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है। गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में प्रकट नवरात्रि की तरह गेहूं के जवारे नहीं बोए जाते हैं और न ही घट स्थापना होती है। गृहस्थों के लिए गुप्त नवरात्रि में व्रत, पूजन, जाप, देवी पाठ का महत्व (importance) है। इस नवरात्रि के पूरे नौ दिन शुद्ध आचरण, शुद्ध आहार-विहार रखना आवश्यक होता है। व्रती को नित्य प्रतिदिन देवी का पूजन करके दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, देवी महापुराण (Devi Mahapuran) आदि का पाठ करना चाहिए। आपको बता दें कि गुप्त नवरात्रि की उपासना से जीवन तनाव मुक्त होता है। इस दौरान महाविद्या देवियां तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, काली, त्रिपुरा भैरवी (Tripura Bhairavi), धूमावती, बगलामुखी है, जिनकी गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा की जाती हैं।

तंत्र विद्या के लिए है खास
इस नवरात्रि में खास तौर से तंत्र साधना (Tantra Sadhana), जादू टोना, वशीकरण आदि चीजों के लिए विशेष महत्व रखता हैं। गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों तक साधक मां दुर्गा की कठिन भक्ति और तपस्या करते हैं। खासकर निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि (Tantra Siddhi) की जाती हैं। इस भक्ति से देवी मां प्रसन्न हो जाती हैं और अपने साधकों को दुर्लभ और अतुल्य शक्ति प्रदान करती हैं। बता दें कि ये सभी कार्य गुप्त तरीके से किए जाते हैं, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) कहा जाता है। इस दौरान पूजा के वक्त श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की कठिन भक्ति और उपासना की जाती है और निशा पूजा की रात्रि में तंत्र सिद्धि की विधि भी संपन्न की जाती है। बता दें कि इसका आयोजन किसी उत्सव की भांति नहीं होता। प्रकट नवरात्रि से अलग इस पूजा के दौरान खास पूजा और साधना की जाती है तथा विशेष कामना हेतु तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए होती है।

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