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उत्तराखंड के रुद्रपुर में रहने वाले बंगाली समुदाय के लोगों के दिलों में बांग्लादेश में चल रहे तख्तापलट और उससे उत्पन्न हिंसा की पीड़ा गहराई तक बैठी हुई है। इस छोटे से शहर में रह रहे कई परिवारों के रिश्तेदार अभी भी बांग्लादेश में रहते हैं, और वहां की वर्तमान स्थिति ने उन्हें गहरी चिंता में डाल दिया है।

संतोष सरकार की दर्दनाक कहानी: तख्तापलट ने छीन लिया चैन

रुद्रपुर के आदर्श इंदिरा बंगाली कॉलोनी में रहने वाले संतोष सरकार ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि बांग्लादेश में उनके पैतृक गांव से महज आठ किलोमीटर दूर दंगाइयों ने हमला कर दिया है। संतोष सरकार, जो कि केवल 14 साल की उम्र में अपने चार भाइयों के साथ उत्तराखंड आ गए थे, अब अपने भतीजों और परिवार के अन्य सदस्यों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं।उनके बड़े भाई अनिल सरकार, जो बांग्लादेश में ही रहे, की मृत्यु के बाद उनके भतीजे वहां अपने परिवार संग रहते हैं। अनिल सरकार की कालीगांस बाजार में हार्डवेयर की दुकान थी, जिसे उनके भतीजों ने आगे बढ़ाया। लेकिन हाल ही में तख्तापलट के बाद हुई हिंसा ने उनके व्यापार और जीवन दोनों को खतरे में डाल दिया है।

दंगों ने मचाई तबाही: भतीजे की दुकान फूंक दी गई

संतोष सरकार ने बताया कि दंगाइयों ने उनके भतीजे की हार्डवेयर की दुकानों को आग के हवाले कर दिया। उनका भतीजा, जो ढाका में रहकर दुकान संभाल रहा था, अब गांव लौट आया है, लेकिन वहां भी असुरक्षा का माहौल है। दंगे अब ढाका के आसपास के क्षेत्रों में भी फैल चुके हैं, जिससे हालात और भी बिगड़ गए हैं।

बढ़ती हिंसा से चिंतित परिवार: नींदें उड़ गई हैं

संतोष सरकार ने बताया कि दो साल पहले जब वह अपने पैतृक गांव गए थे, तब वहां सब कुछ सामान्य था। लेकिन अब हर रात उनकी नींद इस चिंता में उड़ जाती है कि उनके परिवार के लोग किस हाल में होंगे। फोन से संपर्क करना मुश्किल हो गया है, और जब भी कोई खबर मिलती है, तो वह दिल दहला देने वाली होती है।

उन्होंने बताया कि कुछ ही दिनों पहले उनके पास एक फोन आया था, जिसमें बताया गया कि उनके घर से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर गोलीबारी हो रही है, दुकानें जलाई जा रही हैं, और हिंदुओं को जिंदा जलाने की खबरें मिल रही हैं। इस खबर ने संतोष सरकार और उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।

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बांग्लादेशी हिंसा की छाया में रुद्रपुर: पीड़ा और चिंता का दौर

रुद्रपुर में रह रहे बंगाली समुदाय के लोग आज भी बांग्लादेश के साथ अपने गहरे संबंधों को महसूस करते हैं। उनके रिश्तेदारों और परिचितों के प्रति चिंता और भय ने उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। तख्तापलट के बाद की इस हिंसा ने उन्हें न केवल मानसिक रूप से परेशान किया है, बल्कि उनके दिलों में एक अनिश्चितता और भय भी भर दिया है।

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