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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोरबी पहुंचने से पहले ही एक कंपनी के बोर्ड पर शीट डालकर उसे ढक दिया गया। कंपनी पर गंभीर आरोप लगा है कि इसका नाम ओरेवा ग्रुप है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को गुजरात के मोरबी जिले के उस जगह पर पहुंचे जहाँ पुल गिरा था। अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पुल टूटने के बाद चलाए जा रहे बचाव अभियान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान पुल के पास से एक बड़े ओरेवा ग्रुप के बोर्ड को सफेद शीट से ढक दिया गया।

पुल ढहने के 2 दिन बाद मोरबी में पीएम के दौरे को विपक्ष इवेंट मैनेजमेंट बता रहे हैं। ओरेवा कंपनी के बोर्ड को ढकने के अलावा एक स्थानीय सरकारी अस्पताल को रातोंरात रंग भी किया गया और नए बिस्तरों और चादरों के साथ वार्ड भी बनाए गए। जहाँ प्रधानमंत्री कुछ घायलों से मिलें। मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों की संख्या 135 हो गई और अब तक 170 अन्य को बचा लिया गया है। अधिकारियों ने कहा की सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और अन्य एजेंसियों द्वारा मच्छू नदी में बचाव अभियान जारी है।

पुलिस ने मच्छू नदी पर तारों का पुल टूटने के मामले में सोमवार को ओरेवा समूह के चार कर्मचारियों समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है।ब्रिटिश काल के दौरान बने इस पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था मोरबी नगर निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मछु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा गया था।

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नगर निगम से सोमवार को मिले दस्तावेजों के मुताबिक ओरेवा ग्रुप को 15 साल तक पुल की मरम्मत करने का और उसके संचालन का 10 से ₹15 प्रति टिकट मूल्य पर टिकट बेचने की अनुमति थी। आजादी से पहले मोरबी के शासक बागजी ठाकुरद्वारा 1887 में बनवाए गए इस केबल पुल की मरम्मत पूरी होने के बाद 26 अक्टूबर को मीडिया के सामने और ओरेवा के जयसुख पटेल और उनके परिवार ने जनता के लिए खोल दिया। पुल टूटने के बाद मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने दावा किया कि मरम्मत करने वाली कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले निगम से अनुमति प्रमाण पत्र नहीं लिया था।

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