लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान का एक बयान सामने आ रहा है जिसमें चिराग यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं की किसी भी ऐसे गठबंधन में शामिल होना, मेरे लिए असंभव होगा, जिसमें चाचा पशुपति कुमार पारस होंगे। बता दें की पारस इस समय भाजपा में हैं और वह केंद्र की राजग सरकार में मंत्री हैं। चिराग पासवान का यह बयान तत्काल भाजपा को असहज कर सकता है।
बिहार में अब गठबंधन की विश्वसनीयता रही कहां है – चिराग पासवान
आपको बता दें की पत्रकारों ने चिराग से सवाल पूछा था कि राजग को जदयू छोड़ चुका है और महागठबंधन की सरकार बन चुकी है। ऐसे क्या वह राजग में वापसी करेंगे। इस पर पासवान ने कहा कि बिहार में अब गठबंधन की विश्वसनीयता रही कहां है? हर दल अपनी व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा के कारण जिसका विरोध करता है, आखिरी में उसी दल के साथ चला जाता है। इसलिए मैं अभी किसी गठबंधन में शामिल होने के बारे में विचार नहीं कर रहा हूं। जब चुनाव का समय आएगा तो इसके बारे में तय करेंगे कि किसके साथ गठबंधन करें और किसके साथ नहीं।
सीएम नीतीश व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते गठबंधन से हुए अलग
चिराग पासवान पहले से ही सीएम नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए गठबंधन से अलग होने का आरोप लगाते रहते हैं। वे कहते हैं कि वे बिहार के विकास के मुद्दे पर तो अलग हुए नहीं। वे तो बस इसलिए अलग हुए कि सीएम की कुर्सी पर बैठे रह सकें। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन सकें। इसमें तो पूरी तरह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा थी। वे किसी ऐसे बात पर अलग होते कि इससे बिहार का विकास बाधित हो रहा है तो फिर अलग बात होती लेकिन ऐसा तो था नहीं।
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खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान के चाचा वाली शर्त भाजपा को असहज कर सकती है। हालांकि सियासत में कब क्या हो जाए इस बात का कुछ पता नहीं है । अब देखने वाली बात यह होगी कि राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है।