राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को राजस्थान के स्कूलों में मिड डे मील परोसने में भेदभाव की शिकायत मिली है। आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने रविवार को कहा, ”हमें राजस्थान में स्कूलों में मिड डे मिल के दौरान अनुसूचित जाति के बच्चों को अलग बिठाए जाने की सूचनाएं मिल रही हैं और वहां सामान्य श्रेणी के बच्चों को अलग बैठाया जाता है।
”उन्होंने कहा कि रविवार को ‘ऑल इंडिया एससी/एसटी वेलफेयर एसोसियेशन फेडरेशन’ के एक कार्यक्रम में उन्हें इस बारे में सूचना मिली तो उन्होंने उन स्कूलों की लिस्ट भी मांगी है, जहां ऐसा हो रहा है।सांपला ने रविवार को रिपोर्टर्स से बातचीत में कहा कि ”मिड डे मिल के लिए अनुसूचित जाति के लोगों से खाना बनवाने का काम नहीं किया जा रहा है.. इसमें सच्चाई क्या है.. इसकी पुष्टि के लिए मैंने रिपोर्ट मांगी मांगी है।
‘उन्होंने कहा कि अगर ये स्कूल सरकारी हैं तो बहुत बुरी बात है और यह निंदनीय भी है। सांपला ने कहा कि आयोग देश के दूसरे राज्यों को भी पत्र लिख रहा है कि जब स्कूलों को मान्यता दी जाती है तो उसमें उस स्कूल के प्रबंधन से अनुसूचित जाति के प्रति जागरूकता का शपथपत्र भी लेना चाहिए।वहीं इस मामले में विजय सांपला ने आगे कहा कि स्कूलों में भेदभाव नहीं होना चाहिए और अध्यापकों को भी इस संबंध में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
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सांपला ने जालोर की घटना के बारे में बात करते हुए कहा की, नौ वर्षीय दलित बच्चे की एक निजी स्कूल में शिक्षक द्वारा कथित तौर पर पानी के बर्तन को छूने पर पिटाई की गई, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।इस पर बोलते हुए आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग के दल ने भी घटनास्थल का दौरा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं और आयोग जयपुर में 24-25 अगस्त को सभी विभागों के साथ विभिन्न मुद्दों पर समीक्षा बैठक करेगा।