देहरादून।
अब तक केवल व्यावसायिक वाहनों के लिए ग्रीन-कार्ड बनवाना जरूरी था, लेकिन अब उत्तराखंड के प्रमुख साहसिक पर्यटन स्थलों—जैसे काणाताल, केदारकांठा, चोपता, पंवालीकांठा, देवरिया ताल, हर्षिल, सतोपंत और फूलों की घाटी—पर जाने वाले पर्यटकों के निजी वाहनों को भी परिवहन विभाग से ग्रीन-कार्ड लेना अनिवार्य होगा। यह कदम सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए उठाया गया है।
पहले नहीं होती थी पर्यटक वाहनों की जानकारी रिकॉर्ड में
परिवहन विभाग के पास अब तक इन पर्यटक स्थलों पर जाने वाले निजी वाहनों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं होती थी, जिससे आपात स्थिति में यात्री और वाहन की पहचान में परेशानी आती थी। पिछले वर्ष एक बड़ा हादसा इसी लापरवाही की वजह से हुआ था, जब दिल्ली से आए पर्यटकों का टैंपो ट्रैवलर रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी में गिर गया था, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी। बाद की जांच में पता चला कि चालक लगातार वाहन चला रहा था और वाहन का ग्रीन-कार्ड नहीं था। इसी अनुभव के बाद इस वर्ष से परिवहन विभाग ने यह नई व्यवस्था लागू की है।
चारधाम यात्रा के ग्रीन-कार्ड शुक्रवार से बनने शुरू
चारधाम यात्रा के लिए व्यावसायिक वाहनों के ग्रीन-कार्ड बनाने का काम शुक्रवार से आरंभ हो जाएगा। हालांकि इसकी तिथि 2 अप्रैल निर्धारित की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से कार्य शुरू नहीं हो पाया। इस बार विभाग ने ग्रीन-कार्ड से पहले वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की बात कही है।
अन्य राज्यों के लिए केवल 15 दिन का ग्रीन-कार्ड
उत्तराखंड के व्यावसायिक वाहनों को ग्रीन-कार्ड छह महीने के लिए मिलेगा, जबकि अन्य राज्यों के 12 सीट से अधिक क्षमता वाले वाहनों को सिर्फ 15 दिन के लिए ग्रीन-कार्ड मिलेगा। इसका उद्देश्य है कि सभी वाहनों की नियमित निगरानी बनी रहे और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
ग्रीन-कार्ड के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी
ग्रीन-कार्ड के लिए वाहन स्वामी को परिवहन विभाग की वेबसाइट greencard.uk.gov.in पर आवेदन करना होगा। इसके लिए वाहन की आरसी, फिटनेस प्रमाणपत्र, प्रदूषण प्रमाणपत्र और टैक्स संबंधित विवरण जरूरी होगा। साथ ही, ड्राइवर के पास हिल इंडोर्स लाइसेंस होना अनिवार्य है, ताकि उसे पर्वतीय मार्गों का अनुभव हो।
फिटनेस टेस्ट के बाद ही मिलेगा ग्रीन-कार्ड
वाहन का तकनीकी और भौतिक परीक्षण पूरा होने के बाद ही ग्रीन-कार्ड जारी किया जाएगा। इसके बाद वाहन स्वामी को हर यात्रा के लिए एक ट्रिप-कार्ड लेना होगा, जिसमें यात्रियों और चालक की पूरी जानकारी दर्ज होगी।
ट्रिप-कार्ड में हो रही तकनीकी देरी
इस बार ट्रिप-कार्ड जारी करने में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि नए सॉफ्टवेयर में यात्रियों के गंतव्य स्थल की जानकारी अपलोड नहीं हो पा रही है। परिवहन विभाग और एनआईसी की टीम इस परेशानी को दूर करने में जुटी है और जल्द ही ट्रिप-कार्ड जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
चालकों का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य
इस बार चारधाम यात्रा पर जाने वाले सभी व्यावसायिक चालकों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाएगा। सभी चेकपोस्टों पर स्वास्थ्य विभाग की टीम तैनात रहेगी और ड्राइवरों की नेत्र जांच भी की जाएगी।
यात्रा की पूरी जानकारी ट्रिप-कार्ड में
ट्रिप-कार्ड में यात्रियों के नाम-पते, मोबाइल नंबर, चालक की जानकारी और यात्रा की तिथि जैसी जानकारियां दर्ज होंगी। यह भी ऑनलाइन greencard.uk.gov.in वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा।
निजी वाहनों के लिए फिलहाल कोई बाध्यता नहीं
निजी वाहनों के लिए ग्रीन-कार्ड और ट्रिप-कार्ड की अनिवार्यता नहीं है। हालांकि, परिवहन विभाग का प्रयास है कि धीरे-धीरे सभी वाहनों को इस निगरानी प्रणाली में शामिल किया जाए।
ग्रीन-कार्ड बनेंगे इन स्थानों पर
आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी के अनुसार, ऋषिकेश, हरिद्वार, विकासनगर, नारसन और आशारोड़ी चेकपोस्ट पर ग्रीन-कार्ड बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा अन्य राज्य से आने वाले चालकों के लिए विश्राम की भी व्यवस्था की जा रही है।