उत्तराखंड सरकार द्वारा अन्य राज्यों से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए चारधाम यात्रा पंजीकरण को और अधिक सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने सचिवालय में संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित कर इस नई व्यवस्था की जानकारी साझा की। इस नई व्यवस्था के तहत, यात्रा के दौरान ऋषिकेश और हरिद्वार में धर्मशालाओं तथा अन्य ठहरने स्थानों पर ही तीर्थयात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा।
इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 40 टीमें तैनात की जाएंगी। इनमें से 25 टीमें ऋषिकेश और 15 टीमें हरिद्वार में काम करेंगी। यह व्यवस्था उन तीर्थयात्रियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगी, जो किसी कारणवश ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर पाते। इससे उन्हें यात्रा के दौरान पंजीकरण में कोई कठिनाई नहीं होगी।
ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण का मिश्रण
चारधाम यात्रा के लिए इस वर्ष 60 प्रतिशत पंजीकरण ऑनलाइन और 40 प्रतिशत ऑफलाइन किया जाएगा। इस बदलाव से तीर्थयात्रियों को पंजीकरण में सुविधा मिलेगी और वे यात्रा पर जाते समय किसी प्रकार की परेशानी से बच सकेंगे। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने इस व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहा कि इस पहल के माध्यम से तीर्थयात्रियों को पंजीकरण के लिए लंबी कतारों में खड़ा नहीं रहना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस कदम का स्वागत करते हुए पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक सुगम बनाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया था कि इस व्यवस्था को सरल और सुलभ तरीके से लागू किया जाए, ताकि तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा न हो।
प्रत्येक स्थान पर तैनात की जाएंगी टीमें
पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि हरिद्वार और ऋषिकेश में धर्मशालाओं व अन्य ठहरने स्थानों पर जो यात्री सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करेंगे और उनका पंजीकरण नहीं हुआ होगा, उनका मौके पर ही पंजीकरण किया जाएगा। इसके लिए दोनों स्थानों पर टीमें गठित की जाएंगी, और समिति से जुड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से इस व्यवस्था में सहयोग का अनुरोध किया गया। इस सहयोग से पंजीकरण की प्रक्रिया को सुगम और तेज बनाया जाएगा।
इस बैठक में संयुक्त रोटेशन यात्रा व्यवस्था समिति के अध्यक्ष भूपाल सिंह नेगी समेत समिति से जुड़ी नौ कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे, और सभी ने इस पहल को सफल बनाने के लिए अपने सहयोग का आश्वासन दिया।