गुरुवार देर रात उच्च सदन यानी राज्यसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। लंबी चर्चा के बाद पारित हुए इस विधेयक को लेकर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विधेयक को सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री धामी ने इस विधेयक को सुशासन और न्यायिक सुधारों की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लाया गया है। इसके माध्यम से झूठे और अवैध दावों पर रोक लगेगी, जिससे भूमि एवं संपत्ति से जुड़े विवादों का निष्पक्ष समाधान हो सकेगा। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और उनका समाज के व्यापक हित में उपयोग किया जाए।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने किया समर्थन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने वक्फ विधेयक का समर्थन करते हुए मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि इस कानून से उनकी संपत्तियों, मस्जिदों, दरगाहों, ईदगाहों या कब्रिस्तानों को कोई खतरा नहीं है। जमात के अनुसार, यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन में मदद करेगा और अनधिकृत कब्जों को रोकेगा।
भाजपा का समर्थन, कांग्रेस पर लगाया तुष्टीकरण का आरोप उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य महेंद्र भट्ट ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के लिए क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने वक्फ कानून को संविधान से ऊपर रखने की गलती की थी, जिसे भाजपा ने इस संशोधन विधेयक के जरिए ठीक किया है।
महेंद्र भट्ट ने कहा कि अब देवभूमि उत्तराखंड में भी वक्फ संपत्तियों की जवाबदेही तय की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इनका उपयोग गरीब एवं जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए हो। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस और अन्य विरोधी दल तुष्टीकरण की राजनीति के तहत इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
विधेयक का उद्देश्य और संभावित प्रभाव इस विधेयक के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग हो और वे सार्वजनिक हित में कार्य करें। संशोधन विधेयक के अनुसार:
- वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जों पर रोक लगेगी।
- दान में मिली संपत्तियों का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के लिए होगा।
- पीड़ित पक्ष को न्यायालय में अपील का अधिकार मिलेगा, जिससे निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
विपक्ष की आपत्ति और सरकार की सफाई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर चिंता जाहिर की है और आरोप लगाया है कि सरकार इसे अल्पसंख्यक विरोधी कानून के रूप में लागू कर रही है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून किसी विशेष धर्मस्थल के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन तत्वों के खिलाफ है जो वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं।
संविधान के अनुरूप विधेयक को तैयार करने की प्रक्रिया भाजपा सरकार ने इस विधेयक को तैयार करने में पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया है। इस दौरान 96 लाख याचिकाओं पर विचार किया गया और 284 प्रतिनिधिमंडलों से सुझाव लिए गए। सरकार का कहना है कि यह विधेयक किसी भी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
निष्कर्ष वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हो रही है। सरकार इसे न्याय और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम मान रही है, वहीं विपक्ष इसे तुष्टीकरण और राजनीति से प्रेरित बताकर विरोध कर रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के समर्थन से यह साफ है कि मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग ने इस विधेयक को सकारात्मक दृष्टि से देखा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह कानून किस हद तक अपने उद्देश्यों को पूरा कर पाता है और समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।