हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक हृदयविदारक हादसे में छह साल की मासूम बच्ची की जान चली गई। यह हादसा उस समय हुआ जब बच्ची प्लेटफॉर्म पर खेलते हुए खानपान स्टॉल के खाली काउंटर पर झूलने लगी। अचानक भारी-भरकम काउंटर संतुलन बिगड़ने से पलट गया और बच्ची उसके नीचे दब गई। आनन-फानन में बच्ची को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और स्टेशन पर मौजूद लोग भी गमगीन हो गए।
खुशहाल सफर में मातम में बदला माहौल
यह दर्दनाक घटना हरिद्वार रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर घटी। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के पूरनपुर गांव निवासी अवनीश अपनी पत्नी और छह साल की बेटी सृष्टि के साथ ऋषिकेश स्थित एम्स से लौट रहे थे। अवनीश की पत्नी किडनी संबंधी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं और ऋषिकेश में उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर से परामर्श के बाद पूरा परिवार हरिद्वार पहुंचा था और रात की ट्रेन से अपने घर लौटने की तैयारी कर रहा था। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह यात्रा उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा दुख लेकर आएगी।
खेल-खेल में मासूम की जिंदगी खत्म
रात के समय प्लेटफॉर्म पर खेलते हुए सृष्टि खानपान स्टॉल के खाली पड़े काउंटर के पास पहुंची। अनजाने में उसने उस काउंटर पर झूलना शुरू कर दिया, लेकिन काउंटर का संतुलन बिगड़ गया और वह अचानक पलट गया। इस काउंटर के ऊपर भारी पत्थर की स्लैब लगी हुई थी, जिससे उसका वजन काफी अधिक था। काउंटर के नीचे दबने से बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई।
सृष्टि की चीख सुनकर माता-पिता और प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री तुरंत उसकी ओर दौड़े। किसी तरह उसे मलबे के नीचे से बाहर निकाला गया और तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस खबर के मिलते ही परिवार में मातम छा गया और हर किसी की आंखें नम हो गईं।
रेलवे प्रशासन पर उठे सवाल, जांच में जुटी पुलिस
घटना की जानकारी मिलते ही जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। जीआरपी थाना प्रभारी अनुज सिंह ने बताया कि जिस खानपान स्टॉल के काउंटर से यह हादसा हुआ, उसका टेंडर 31 मार्च को समाप्त हो गया था। स्टॉल खाली पड़ा था और इस्तेमाल में नहीं था। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया है और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि घटना की सटीक जानकारी मिल सके।
यह हादसा रेलवे प्रशासन की लापरवाही की ओर भी इशारा करता है। सवाल उठ रहे हैं कि जब स्टॉल का टेंडर समाप्त हो गया था, तो काउंटर को सुरक्षित तरीके से क्यों नहीं हटाया गया? क्या रेलवे प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे? इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस दर्दनाक हादसे से पूरे स्टेशन पर शोक की लहर दौड़ गई। बच्ची के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है और वे इस असहनीय दुःख को सहने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस घटना से कोई सबक लेता है या नहीं, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।