नई दिल्ली/देहरादून: केंद्र सरकार ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में हिमनदों (ग्लेशियर) से उत्पन्न बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए 150 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। यह कदम हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood – GLOF) से जुड़े क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार इस परियोजना के तहत स्थानीय स्तर पर संस्थानों और समुदायों को सुदृढ़ कर रही है, ताकि वे आपदाओं के लिए अधिक तैयार रह सकें।
ग्लेशियर झीलों की निगरानी और जोखिम आकलन
केंद्रीय जल आयोग (CWC) वर्तमान में 902 ग्लेशियर झीलों और जल निकायों की निगरानी कर रहा है। इसका उद्देश्य इन जल स्रोतों में परिवर्तन का आकलन कर संभावित बाढ़ खतरों को समय रहते रोकना है। लोकसभा में भाजपा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी। सांसद ने पूछा था कि सरकार पर्यटन आधारित क्षेत्रों समेत स्थानीय समुदायों पर हिमनद झीलों के फटने से होने वाले आर्थिक प्रभावों को कैसे आंकेगी और इसे कम करने के लिए क्या योजना बनाई गई है।
राष्ट्रीय हिमनद झील जोखिम न्यूनीकरण परियोजना की स्वीकृति
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने 150 करोड़ रुपये की लागत से ‘राष्ट्रीय हिमनद झील जोखिम न्यूनीकरण परियोजना’ को मंजूरी दी है। यह परियोजना उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में लागू की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के कारण होने वाले प्राकृतिक आपदाओं को कम करना है।
इसके तहत स्थानीय संस्थानों और समुदायों को मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण और संरचनात्मक उपाय किए जाएंगे। सरकार ने सिक्किम के अलावा अन्य राज्यों में भी सी-डेक, इसरो और अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद के सहयोग से स्वचालित मौसम केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है। ये केंद्र किसी भी हिमनद झील विस्फोट बाढ़ की स्थिति में स्थानीय समुदाय को पूर्व चेतावनी प्रदान करेंगे।
उत्तराखंड और हिमाचल के लिए ग्लेशियर झीलों की सूची तैयार
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में स्थित ग्लेशियर झीलों की सूची तैयार की है। इस अध्ययन के अनुसार, उत्तराखंड में 7.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली 1266 झीलों की पहचान की गई है, जबकि हिमाचल प्रदेश में 9.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली 958 झीलें पाई गई हैं।
केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने ग्लेशियर झीलों के जोखिम सूचकांक के लिए मानदंडों को अंतिम रूप दे दिया है। इसके साथ ही, सरकार ने हिमनद झील विस्फोट बाढ़ के प्रति संवेदनशील सभी मौजूदा और निर्माणाधीन बांधों की बाढ़ डिजाइन की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। साथ ही, जलग्रहण क्षेत्रों में ग्लेशियर झीलों वाले सभी नए बांधों के लिए GLOF अध्ययन को अनिवार्य कर दिया गया है।
सरकार की रणनीति और अगली कार्रवाई
सरकार इस परियोजना के तहत न केवल बाढ़ की निगरानी प्रणाली को मजबूत कर रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षण और संसाधन भी उपलब्ध करा रही है। भविष्य में, अन्य हिमालयी क्षेत्रों में भी इस परियोजना का विस्तार किया जा सकता है ताकि प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके। यह पहल हिमालयी राज्यों के लिए एक बड़ा राहत कदम साबित हो सकती है, जिससे न केवल जन-धन की हानि को रोका जा सकेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।
यह भी पढें- देहरादून के राजपुर रोड पर बाइक डिवाइडर से टकराई, दो अग्निवीरों सहित तीन की दर्दनाक मौत