हल्द्वानी। वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) एक बड़ा शोध अभियान शुरू करने जा रहे हैं। हल्द्वानी-रुद्रपुर हाईवे के जंगल क्षेत्रों और लालकुआं से जुड़ी बरेली रोड पर ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वन्यजीव किस समय सड़क पार करते हैं और उनके क्रॉसिंग क्षेत्र कौन-कौन से हैं। इस अध्ययन के आधार पर भविष्य में वन्यजीवों को बचाने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे।
हाईवे के कारण वन्यजीवों को खतरा
जंगलों के बीच से गुजरने वाली सड़कें वन्यजीवों के लिए घातक साबित हो रही हैं। तेज़ रफ़्तार वाहनों की चपेट में आकर अब तक कई बाघ, हाथी, हिरण और बंदर अपनी जान गंवा चुके हैं। इंसानों की सुविधाओं के लिए जंगलों को दो हिस्सों में बांटकर हाईवे बनाए गए, लेकिन इस प्रक्रिया में वन्यजीवों के आवागमन को अनदेखा कर दिया गया।
टांडा जंगल और गौला हाथी कॉरिडोर का महत्व
हल्द्वानी-रुद्रपुर हाईवे भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि यह जंगलों को जोड़ने का काम करता है। बेलबाबा से पंतनगर मोड़ तक का इलाका, जिसे आमतौर पर टांडा जंगल कहा जाता है, वन्यजीवों के लिए अहम मार्ग है। इस जंगल से होते हुए हाथी, बाघ, गुलदार और हिरण जैसे वन्यजीव दूसरी ओर जाते हैं। लालकुआं की ओर बढ़ने पर गौला हाथी कॉरिडोर आता है, जहां से हाथियों के झुंड डौली रेंज, चोरगलिया और अन्य क्षेत्रों में जाते हैं। हालांकि, हाईवे के कारण इनका रास्ता बाधित हो जाता है और सड़क पार करते समय दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
शोध का उद्देश्य और प्रक्रिया
वन विभाग और WWF की टीम इस अध्ययन में दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए जुटेगी। हल्द्वानी-रुद्रपुर हाईवे और बरेली रोड पर ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे यह जानकारी मिलेगी कि:
- वन्यजीव किस समय अधिक सड़क पार करते हैं।
- उनके क्रॉसिंग क्षेत्र कौन-कौन से हैं।
- किस मौसम में उनकी गतिविधियां अधिक होती हैं।
इन आंकड़ों के आधार पर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय किए जाएंगे।
भविष्य की योजना
वन विभाग इस शोध का विस्तार भाखड़ा से रामनगर मार्ग तक भी कर सकता है, क्योंकि यह हाईवे भी दो जंगलों के बीच आता है और यहां भी वन्यजीवों को सड़क पार करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
हाईवे से जुड़ी दुर्घटनाएं
- जनवरी 2021: फतेहपुर में इनोवा कार की टक्कर से बाघ की मौत।
- जनवरी 2024: टांडा जंगल में तेज रफ्तार कार की चपेट में आकर बाघ की मृत्यु।
- अक्टूबर 2024: बेलबाबा क्षेत्र में बस की टक्कर से हथिनी की मौत।
- फरवरी 2025: टांडा जंगल में दुर्घटना में बाघ के शावक की मौत।
निष्कर्ष
वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित रखने के लिए यह शोध अत्यंत महत्वपूर्ण है। ट्रैप कैमरों से प्राप्त डेटा के आधार पर वन विभाग और WWF सड़क पार करने के दौरान वन्यजीवों की रक्षा के लिए ठोस उपाय कर पाएंगे। इससे वन्यजीवों की अप्राकृतिक मौतों को रोका जा सकेगा और उनका प्राकृतिक आवास सुरक्षित रहेगा।
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