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International dance day 2022 : भारत में इतना पुराना है डांस का इतिहास, यहां जानिए सभी नृत्य कलाओं के बारे में

International dance day 2022: साल 1982 में यूनेस्को के सहयोगी NGO international dance council ने international dance day की पेशकश की थी नृत्य की अंतरराष्ट्रीय व्यापकता को देखते हुए प्रत्येक 29 अप्रैल को International dance day मनाने की शुरुआत हुई 29 अप्रैल का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन

International dance day 2022: साल 1982 में यूनेस्को के सहयोगी NGO international dance council ने international dance day की पेशकश की थी नृत्य की अंतरराष्ट्रीय व्यापकता को देखते हुए प्रत्येक 29 अप्रैल को International dance day मनाने की शुरुआत हुई 29 अप्रैल का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन जीन जॉर्जेस नोवरे की जयंती है जिनको आधुनिक बेले नित्य का निर्माता माना जाता है यह दिन नृत्य के महत्व एवं प्रभुता को दर्शाता है और इस कला के रूप में कार्यक्रमों को प्रभु के माध्यम से भागीदारी और शिक्षा को प्रोत्साहित करता है। International dance day पर हम बात करेंगे भारत के प्राचीनतम एवं अति श्रमिक शाली शास्त्री एवं लोक नृत्य कि अहमियत और विभिन्नताओं कि।

बता दें कि भारत में नृत्य कला कितना प्राचीन और समृद्ध है इसकी कल्पना इसी से की जा सकती है कि खुद भगवान शिव तांडव नृत्य करते थे स्वर्ग लोक में इंद्र के दरबार की कार्यवाही अप्सराओं द्वारा नृत्य की प्रस्तुति के बाद होती थी इसके बाद यही परंपरा राजा महाराज के दरबार के शान बनी भारत में हर पल हर प्रदेश की विशेष नृत्य कला प्रचलित है हमारी शास्त्रीय नृत्य कला पर तो सारी दुनिया फिदा है भारतीय शास्त्रीय नृत्य की शिक्षाएं पूरी दुनिया के लोग हासिल करते हैं ऐसे में सवाल यह उठना स्वाभाविक है कि हम भारतीय अपनी इस नृत्य कला की विरासत एवं विभिन्नताओं से कितने वाकिफ हैं आइए जानने का प्रयास करते हैं भारतीय लोग एवं शास्त्रीय नृत्य कला के संदर्भ में।

भरतनाट्यम
International dance day पर सबसे पहले हम भरतनाट्यम की बात करेंगे। भरतनाट्यम नृत्य की उत्पत्ति तमिलनाडु के मंदिरों से हुई थी जिसका सर्वप्रथम वर्णन भरतमुनि ने किया था इसलिए इसे भरतनाट्यम का नाम दिया गया मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव अपने नटराज रूप में इस नृत्य के जनक माने जाते हैं इसे अग्रि नृत्य भी कहा कहते हैं।

कथकली।
बता दें कि कथकली एक शास्त्रीय भारतीय नृत्य नाटिका है यह अमूमन रामायण महाभारत एवं पुराणों के महाकाव्य को दर्शाता है इसकी उत्पत्ति केरल में हुई थी इस नृत्य कला में हाथों एवं चेहरे के भाव भंगिमाओं का उपयोग किया जाता है यह एक कठिन नित्य कला है इसमें महारत हासिल करने के लिए 10 से 15 साल तक का समय लगता है।

कुचिपुड़ी
इस नृत्य कला का जन्म दक्षिण के कर्नाटक से हुआ था इसे कर्नाटक संगीत के नाम से भी जाना जाता है इसकी सैली कुछ हद तक भरतनाट्यम से मिलती है यह एक पृथ्वी नृत्य है।

मोहिनीअट्टम
आपको बता दें कि मोहिनीअट्टम केरल का लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य है यह मुख्यतया जिसे महिलाओं द्वारा एकल गायन के साथ किया जाता है मोहिनी का अर्थ है मन मोहने वाली महिला और उनका अर्थ सुंदर एवं कामुक हरकतें पौराणिक कथाओं के अनुसार इस नृत्य की उत्पत्ति भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन में अमृत निकलने पर मोहिनी रूप धारण कर दिया था इसे वायु नृत्य भी कहा जाता है।

मणिपुरी
वहीं, मणिपुरी शास्त्रीय नृत्य का जन्म मणिपुर से हुआ था। इसका अपना विशेष सौंदर्यशास्त्र और परंपराएं हैं विशुद्ध रूप से यह धार्मिक एवं आध्यात्मिक नृत्य राधा कृष्ण के प्रेम को दर्शाता है भरतनाट्यम की तरह इस नृत्य में भी भाव भागिमाओं किअहम भूमिका होती है।

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बिहू नृत्य:
आज international dance day के मौके पर आपको बिहू नृत्य के बारे में भी जानना चाहिए।बता दें कि बिहू असम का सबसे लोकप्रिय लोक नृत्य है स्थानीय जनजातियों में पुरुष एवं स्त्री द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है मूलतः यह बगुरूम्बा बोडो द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्य है और यह उनके प्राकृतिक परिवेश से प्रेरित है इसलिए इसमें पौधों का नृत्य जानवरों पक्षियों का नृत्य तितली नित्य बहती नदी की लहर हवा आदि शामिल है इसके अलावा भारतीय शास्त्रीय एवं लोक नृत्य में पंजाब का भांगड़ा बिहार का विदेशिया नित्य गुजरात का डांडिया और गरबा हरियाणा का जाट नृत्य भी काफी प्रचलित है।

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