यूं तो पुलिस कर्मियों का ट्रांसफर एक रूटीन प्रोसेस होता है और कुछ समय अंतराल बाद उन्हें अलग अलग स्थानों पर भेजा जाता है और पुलिस कर्मी इसके लिए तैयार भी रहते है, लेकिन इस वक्त यही ट्रांसफर उत्तराखंड पुलिस के कई जवानों और उनके परिजनों के लिए समस्या का कारण बन गया है और इसने पुलिस कर्मियों को असमंजस में डाल दिया है। चलिए एक बार पूरा मामला समझते है।
जब किसी पुलिसकर्मी की किसी निश्चित स्थान पर तैनाती होती है, तो उसके साथ वहां उसका परिवार उसकी बीवी बच्चे भी रहते हैं और जाहिर सी बात है, जब उसका ट्रांसफर होगा तो वह अपने साथ अपने बीवी बच्चों को भी उस नए स्थान पर ले जाता है. ज्यादातर पुलिसकर्मी ऐसे होते हैं जिनके बच्चे अभी स्कूल में पढ़ाई कर रहे होते हैं, तो जब पुलिसकर्मी नए स्थान पर जाते हैं तो वहां उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा का उचित प्रबंध भी करना होता है, स्कूल में दाखिला कराना होता है और हम सभी जानते हैं कि दाखिला कराने की कुछ निश्चित तारीख होती हैं और अगर वह निकल गई तो फिर स्कूल में दाखिला कराना बहुत मुश्किल हो जाता है और कई बार तो उसके लिए मोटी डोनेशन भी देनी पड़ती।
अब आते है मुद्दे की ओर, असल में पिछले साल उत्तराखंड पुलिस में कई तबादले होने थे और इसको लेकर 18 मार्च 2021 को आदेश भी जारी हो गया था. लेकिन इस दौरान भी शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी थी,बच्चों के दाखिले हो चुके थे. तो कई पुलिसकर्मियों ने गुजारिश की कि उनका तबादला कुछ समय के लिए रोक दिया जाए और अगले शिक्षा सत्र तक के लिए इस आदेश को टाल दिया जाए. पुलिस कर्मियों की इस मांग पर प्रशासन के अधिकारियों के द्वारा हामी भर दी गई और 18 सितंबर 2021 को डॉ नीलेश आनंद भरणे जो की पुलिस उपमहानिरीक्षक थे कुमाऊं परीक्षेत्र के उनके द्वारा एक आदेश जारी किया गया और बताया गया की 31 मार्च 2022 तक के लिए ट्रांसफर रोक दिए गए।
पुलिसकर्मी आस लगाए बैठे थे कि 31 मार्च 2022 से पहले उन्हें उनके ट्रांसफर की सही सही जानकारी मिल जाएगी और स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन मार्च के बाद अप्रैल का पहला रविवार भी आ गया है और अभी तक पुलिस कर्मियों के ट्रांसफर पर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है.क्योंकि अब नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है कई स्कूलों में बच्चों के एडमिशन शुरू हो चुके हैं, तो फिर से पुलिसकर्मियों को अपने बच्चों की स्कूलिंग को चिंता सताने लगी है.अब उन्हें ये समझ नहीं आ रहा की वह अपने बच्चों का नए सत्र में एडमिशन कहा कराएं,वो असमंजस की स्थिति में है और प्रशासन से जल्द स्थित स्पष्ट करने की मांग कर रहे है।
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इसको लेकर एक पुलिसकर्मी का लेटर भी हमारे पास मौजूद है, जो उसके द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को भेजा गया था.जिसमें उसके द्वारा लिखा गया है कि प्रार्थी 2001 बैच का भर्ती है और वो अल्मोड़ा जनपद में तैनात है तथा स्थानांतरण नीति के तहत उसका ट्रांसफर नैनीताल होना था,लेकिन बाद में रोक लग 31 मार्च 2022 तक के लिए रोक लग गई। उसने बताया की उसे अपने बच्चों का एडमिशन करवाना है। स्थानान्तरण पर तिथि नियत न होने के कारण दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसलिए वो मांग कर रहा है को स्थानांतरण की तिथि स्पष्ट की जाए और आदेश जारी किया जाए।