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उत्तराखंड में पहली बार वन पंचायतों में जड़ी बूटी और हर्बल एरोमा टूरिस्ट पार्क विकसित करने के लिए सरकार नीति बनाने जा रही है। मध्यप्रदेश के मॉडल को देखते हुए और उसको अध्ययन करके नीति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जिसमें हर एक जिले में हर्बल एरोमा टूरिस्ट पार्क भी विकसित किया जाना है। इस नीति के तहत सरकार वन पंचायतों में रहने वाले लोगों की आजीविका को बढ़ाने पर जोर देगी।


बता दें की शुक्रवार को सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने वन पंचायतों में जड़ी-बूटी उत्पादन, प्रसंस्करण एवं टूरिज्म पार्क विकसित करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्य सचिव ने जड़ी-बूटी उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए तैयार की जा रही नीति में हितधारकों के सुझाव शामिल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नीति का ड्राफ्ट तैयार कर सार्वजनिक तौर पर लोगों की राय ली जाए।


वहीं मुख्य सचिव ने कहा कि वन पंचायतों में होने वाले सभी कार्य वन विभाग के अधीन किए जाएंगे। इसके लिए समर्पित अधिकारी नियुक्त किया जाए। वन क्षेत्र में वन पंचायतों के माध्यम से और स्थानीय समुदायों के सामूहिक प्रयासों से हर्बल और जड़ी-बूटी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।


इसी के साथ हर्बल एरोमा टूरिज्म पार्क में पर्यटकों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाए। पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्य सचिव ने जड़ी-बूटी का उत्पादन क्लस्टर बना कर मूल्य संवर्धन की योजना बनाने को कहा। उन्होंने बताया कि नई एमएसएमई नीति के तहत पहाड़ों में निवेश के लिए अधिकतम चार करोड़ तक सब्सिडी दी जाएगी।

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दरअसल,प्रदेश में 12000 वन पंचायतें है। मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना में पात्रता पूरी कर रही वन पंचायतों को शामिल किया जा सकता है।

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