उत्तराखंड के जागेश्वर धाम में हाल ही में खुदाई के दौरान दो अद्वितीय शिवलिंगों की खोज ने न केवल भक्तों का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि पुरातत्वविदों की भी रुचि जगा दी है। इस असाधारण खोज ने जागेश्वर धाम की पवित्रता और इतिहास को एक नई पहचान प्रदान की है।
जागेश्वर धाम, जो कि अल्मोड़ा जिले में स्थित है, भगवान शिव के 108 मंदिरों के समूह के लिए प्रसिद्ध है। इस धाम को भगवान शिव की आराधना के मुख्य केंद्रों में से एक माना जाता है। हालिया खोज ने इस स्थान के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा दिया है।ये शिवलिंग, जिनका संबंध 14वीं सदी से बताया जा रहा है, ने न केवल स्थानीय लोगों में उत्साह जगाया है बल्कि पुरातात्विक दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण खोज है। इससे पहले भी इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ और पुरातात्विक महत्व की अन्य वस्तुएँ मिली हैं, जिससे इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास और सांस्कृतिक विरासत की जानकारी मिलती है।
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खोज की सूचना मिलते ही सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए जागेश्वर धाम पहुँच गए। भक्तों ने रोली, चंदन, और पुष्प अर्पित करके भगवान शिव का पूजन किया। यह दृश्य न केवल भक्तिमय था बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे धार्मिक आस्था लोगों को एक सूत्र में बांधती है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस खोज के बाद खुदाई को रोक दिया है और इन शिवलिंगों को सुरक्षित रखने की योजना बनाई है। ASI की टीम इस क्षेत्र का और अधिक सर्वेक्षण करने की योजना बना रही है ताकि इस स्थान की पुरानी सभ्यता और इतिहास के और अधिक पहलुओं को समझा जा सके।