इस वक्त की खबर उत्तराखंड से आ रही है जहां समान नागरिक संहिता (यूसीसी ) का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसी को लेकर विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तावित कानून में महिला अधिकारों पर जोर देने के संकेत दिए गए हैं।समिति ने जनजातीय समाज के कानूनों और परंपराओं पर भी सम्मान के साथ विचार करने की बात कही है। इसके लिए उत्तराखंड के लोगों से सुझाव भी मांगे गए हैं।
क्या है समान नागरिक संहिता?
इससे पहले कि आप इस खबर को पढ़े हम आपको यहाँ पर समान नागरिक संहिता के विषय में जानकारी देना चाहते हैं। समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धर्म समुदायों के लिए विवाह, तलाक,गोद लेने जैसे कार्यों पर एक तरह का कानून बनाने का प्रावधान करती है।संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखा है कि राज्य राज्य सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।
रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक
आपको बता दें कि समिति की पांचवी बैठक गुरुवार को रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में हुई। बैठक सर्किट हाउस एनेक्सी में आयोजित की गई थी।इसके बाद राजभवन सभागार में अध्यक्ष जस्टिस देसाई ने प्रस्तावित कानूनों पर राय लेने के लिए वेबपोर्टल लांच किया।जस्टिस देसाई ने कहा कि उत्तराखंड के सभी नागरिक, संस्थाएं, सरकारी इकाईयां, सरकारी संस्थाएं, सामाजिक समूह, समुदाय, धार्मिक संस्थाए और राजनीतिक दल भी अपनी राय दे सकते हैं। इस मौके पर समिति के सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघन सिंह, दून विवि की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ भी शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन सदस्य सचिव अजय मिश्रा ने किया।
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जनजातीय कानूनों पर भी किया जाएगा विचार :रिटायर्ड जस्टिस देसाई
आपको बता दें कि रिटायर्ड जस्टिस देसाई ने जनजातीय कानूनों पर भी विचार करने की बात कही है। वही हिंदुस्तान द्वारा पूछे गए सवाल पर जस्टिस देसाई ने कहा कि उत्तराखंड में रहने वाले जनजातियों की विशिष्ट परंपराओं और कानूनों पर भी समिति विचार करेगी। लेकिन किस तरह विचार किया जाएगा इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। वहीं शत्रुघ्न सिंह ने कहा की मौजूदा कानून बनाते समय अलग-अलग समुदायों की परंपराओं और मान्यताओं का सम्मान किया गया था।
महिला अधिकारों पर विशेष तौर से दिया जाएगा ध्यान
बता दें कि जस्टिस रंजना देसाई ने कहा की समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए सभी का सहयोग चाहिए।लोग खुले दिल से सुझाव, आपत्ति, शिकायत, विचार हमें दे सकते हैं। सब पर गंभीरता से विचार होगा। यह लंबी प्रक्रिया है, फिर भी हम इसे फास्ट ट्रैक करते हुए जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं।
वहीं जस्टिस देसाई ने कहा कि उत्तराखंड में रहने वाले सभी आम नागरिक 7अक्टूबर तक अपने सुझाव दे सकते हैं। उन्होंने कहा समान नागरिक संहिता मूल का मूल विचार महिला अधिकारों से ही आया है। इसलिए समिति उत्तराखंड में महिला अधिकारों पर विशेष तौर पर ध्यान देगी।