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उत्तराखंड में विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले को लेकर चर्चा में आईं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी आज एक बार फिर से चर्चा में हैं। रितु खंडूरी द्वारा गोविंद सिंह कुंजवाल कार्यकाल के 158 तदर्थ कर्मचारियों और प्रेम चंद्र अग्रवाल कार्यकाल के दौरान 72 तदर्थ कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद जीस प्रकार वह मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई है। यह उत्तराखंड में पहली बार हुआ है।

रितु खंडूरी ने इस निर्णय की कई प्रकार से व्याख्या की है और अधिकांश लोगों का मानना है कि इसमें कमेटी द्वारा सभी बैकडोर भर्तियों को अवैध माना गया था। ज्यादातर लोगो ने रितु खंडूड़ी के इन फैसलों की तारीफ की और फैसले को सही बताया तो कईयों ने ये भी सवाल उठाया कि जब भर्तियां सभी अवैध थी तो इसके बावजूद प्रकाश पंत यशपाल आर्य और हरबंश कपूर के कार्यकाल के दौरान की बैकडोर भर्तियों के खिलाफ़ एक्शन क्यों नही लिया गया।

सोशल मीडिया में एक लिस्ट काफी तेजी से वायरल हो रही है कि विशेष कार्य अधिकारी अशोक शाह पुत्र स्वर्गीय डीएल शाह निवासी मकान नंबर 5 बी, 11 वीं सी ब्लॉक जनकपुरी, नई दिल्ली अशोक शाह के बारे में दावा किया गया है कि इन्हें केवल 10 की तनख्वाह पर रखा गया है जो प्रतिमा हो 1,00,000 बनता है।

दूसरे नंबर पर रितु खंडूरी के लिए सहायक जनसंपर्क अधिकारी आभा सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह निवासी फ्लैट नंबर 1130 ब्लॉक ए गौर सिटी वन नोएडा एक्सटेंशन इनके लिए केवल 7 की वेतन जो की लगभग 60,000 तय की गई है

तीसरे नंबर पर सहायक सूचना अधिकारी उत्कृष्ट रमन पुत्र मूल निवासी पटना बिहार हैं। उनके लिए भी केवल 7 की तनख्वाह लगभग 60000 तय की गई है।

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चौथे नंबर पर सलाहकार के रूप में ललित डागर को तैनाती दी गई है जो 28 कैलाश नगर, नई दिल्ली के रहने वाले हैं। लेकिन अवेतनिक बताए जा रहे हैं। रितु खंडूरी के नाम से चल रहे हैं। इन नामों से आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति में कितना शोर मचेगा यह तो आने वाला वक्त ही जानता है, लेकिन इस प्रकार बैकडोर भर्ती के खिलाफ़ एक्शन लेने के बाद रितु खंडूरी पर यह रिएक्शन देखने को मिला है। उसे एक बात तो तय है कि आने वाले वक्त में भाजपा के भीतर भाजपा की कलेश और तेजी से उभर कर आनेवाला।

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