खबर उत्तराखंड से है जहां विधानसभा भर्ती मामले के संबंध में जांच समिति द्वारा गुरुवार को देर रात विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूडी को सौंप दी गई है। बता दे की नियुक्तियों की गड़बड़ी को लेकर अब रितु खंडूडी ने बड़ा कदम उठाया है। विधान सभा सचिवालय में विवादों से घिरी 250नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की गई थी। जिसके बाद अब बड़ा कदम उठाते हुए शासन ने विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया है।
भर्तियों में संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का हुआ उल्लंघन
आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जांच समिति द्वारा भी इस बात को माना गया है कि जो भी तदर्थ नियुक्तियां हुई थी वे सभी नियमों के विरुद्ध हुई थी। उनके लिए ना तो कोई विज्ञप्ति निकाली गई थी और ना ही रोजगार कार्यालय से आवेदन मंगाए गए थे। जांच समिति द्वारा इस बात को भी माना गया है कि इन भर्तियों में संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 का उल्लंघन हुआ है। इस मामले में मूल रिपोर्ट 29 पेज की है जबकि अटैचमेंट के साथ यह रिपोर्ट 2014 पेज की है।
2011 से पहले भर्ती कर्मचारी हुए नियमित विधानसभा अध्यक्ष लेंगी विधिक फैसला
विधानसभा अध्यक्ष के मुताबिक देहरादून और गैरसैण विधानसभा के लिए पदों का पुनर्गठन किया जाएगा।विधानसभा में 2011 से पहले भर्ती हुए कर्मचारी नियमित हो चुके हैं, इन पर अब विधानसभा अध्यक्ष विधिक राय लेगी। उसके बाद ही कोई निर्णय होगा। वहीं विधानसभा में 2016 से 2022 तक कि तदर्थ नियुक्ति निरस्त की गई हैं। पिछले साल हुई 32 पदों की भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। आरएमएस टेक्नो सोलुशन कंपनी को दिए गए 56 लाख के भुगतान पर सचिव की भूमिका संदिग्ध है। 2021 के ही उपनल से भर्ती 22 नियुक्ति रद्द कर दी गई हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने जो नियुक्तियां निरस्त की हैं, उनमें 228 तदर्थ हैं और 22 उपनल के माध्यम से। कुल मिलाकर 250 हैं। विधान सभा अध्यक्ष ने सचिव मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया है।
नौकरी जाने के सदमे से कर्मचारी हुई बेहोश
वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय से बाहर निकली तो उन्हें कर्मचारियों ने घेर लिया। हालांकि बाद में वह कड़ी सुरक्षा के बीच विधानसभा से रवाना हो गईं। नौकरी जाने के सदमे में एक कर्मचारी बेहोश हो गई।
यदि नियुक्तियां है गलत तो उन्हें किया जाए निरस्त :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडियाकर्मियों से कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों से संबंधित मामला उनके सामने आया, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर जांच करने का अनुरोध किया। बकौल धामी, मैंने स्पीकर से कहा था कि जांच में यदि नियुक्तियां गलत हैं तो उन्हें निरस्त किया जाना चाहिए।