इस वक्त की बड़ी खबर उत्तराखंड से आ रही है जहां पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि उत्तराखंड में मेला प्राधिकरण गठित किया जाएगा। जी हां बता दें कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेज दिया गया है जिसके अंतर्गत कावड़,देवीधुरा,महासू जागड़ा,नंदा देवी मेला सहित उत्तराखंड के प्रसिद्ध मेले एवं यात्राओं का आयोजन किया जाएगा।
आपको बता दें कि उत्सव धर्मी उत्तराखंड में होने वाले मेलों और यात्राओं के सुव्यवस्थित आयोजन के मद्देनजर संस्कृति विभाग के अंतर्गत मेला प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रस्ताव भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के गठन से जहां मेलों व यात्रा के आयोजनों के लिए आसानी से धनराशि उपलब्ध हो सकेगी तो साथ ही संबंधित क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। कैबिनेट मंत्री महाराज ने शनिवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में तमाम ऐसे मिले और यात्राओं के आयोजन है जिन्हें कहीं से कोई धनराशि नहीं होती। ऐसे में प्राधिकरण के गठन से यह दिक्कत दूर हो जाएगी।
बता दें कि सतपाल महाराज ने यह भी जानकारी दी है कि प्राधिकरण के दायरे में कांवड़, देवीधूरा, महासू जागड़ा, नंदा देवी मेला सहित उत्तराखंड के प्रसिद्ध मेलों और यात्राओं के आयोजनों को लाया जाएगा। उन्होंने हाल ही में महासू देवता हनोल में आयोजित जागडा महोत्सव का वर्णन करते हुए कहा कि इसे राजकीय मेला घोषित किया आया है। साथ ही वहां श्रद्धालुओं के लिए सुविधा जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया ध्यान केंद्रित किया। बता दे कि सेटेलाइट के माध्यम से 170 देशों में 5 करोड व्यक्तियों ने इस आयोजन को देखा। प्राधिकरण बनने के बाद ऐसे कदम उठाने में मदद मिलेगी।वहीं कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि राज्य में कई धार्मिक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत हैं। ऐसे में संबंधित एएसआई के मानकों के कारण सुविधाएं विकसित नहीं हो पा रही है। हनोल महासू देवता मंदिर इसका उदाहरण है जिसे 200 मीटर की परिधि में कोई भी निर्माण प्रतिबंधित है। इससे वहां के निवासियों को भी दिक्कतें आ रही हैं ऐसे में एएसआई के मानकों में शिथिलीकरण आवश्यक है।
सतपाल महाराज ने अपने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस विषय में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट का भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है। उनसे आग्रह किया गया है कि एएसआई के अधीन जो भी स्थल है उनमें पानी की निकासी के साथी आसपास के क्षेत्र में पर्यटन सुविधाएं भी विकसित करने की छूट दी जाए ऐसे स्थलों का संरक्षण होना चाहिए लेकिन वहां सुविधाएं भी मिलनी आवश्यक हैं।